Mukesh Choudhary in IPL: चेन्नई के गेंदबाज मुकेश चौधरी ने अपने करियर को लेकर किया बड़ा खुलासा, जानकर हैरान रह जाएंगे
MI vs CSK: आईपीएल में गुरुवार को चेन्नई ने मुंबई को रोमांचक मुकाबले में 3 विकेट से मात दी थी. इस मैच में चेन्नई के गेंदबाज मुकेश चौधरी ने घातक गेंदबाजी की और तीन विकेट चटकाए.
IPL News: इंडियन प्रीमियर लीग में गुरुवार को चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला खेला गया था. इस मैच में चेन्नई ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 3 विकेट से जीत दर्ज की थी. इस मुकाबले में चेन्नई के तेज गेंदबाज मुकेश चौधरी ने शानदार गेंदबाजी की और तीन बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा. लंबे समय बाद मुकेश अच्छी लय में नजर आए. मुकेश ने पहले ही ओवर में रोहित शर्मा और ईशान किशन को पवेलियन भेजा. इसके बाद कीरोन पोलार्ड को आउट कर चेन्नई की राह आसान कर दी.
मैच के बाद मुकेश चौधरी ने अपने करियर को लेकर एक बड़ा खुलासा किया. मुकेश ने बताया कि बचपन में उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह क्रिकेट खेलेंगे. लेकिन धीरे-धीरे उनका मन क्रिकेट में लगने लगा और वे इस मुकाम तक पहुंच गए. उनकी कहानी बेहद प्रेरणादायक है. गांव की गलियों से लेकर आईपीएल तक पहुंचने का सफर मुकेश चौधरी के लिए काफी संघर्षपूर्ण रहा है. मुकेश चौधरी ने कहा, "जब मैं छोटा था, तो बड़े लोग मुझे बल्लेबाजी या गेंदबाजी नहीं करने देते थे.मैं पूरे दिन फील्डिंग करता था. मेरे घर में स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. मेरे गांव में कोई क्लब या कुछ भी नहीं था, इसलिए यह सब टेनिस गेंद से शुरू हुआ. चौथी कक्षा में मेरे पिता ने मुझे एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया, क्योंकि मेरे गांव में पढ़ने की ज्यादा सुविधा नहीं थी. मैंने फिर बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी जैसे अन्य खेलों की भी कोशिश की. लेकिन क्रिकेट हमेशा मेरा पसंदीदा था."
उन्होंने आगे कहा, "मैंने अपने माता-पिता को नहीं बताया, लेकिन मैंने क्रिकेट पर ध्यान देना शुरू कर दिया. जब मेरा नाम अखबारों में आया, तो मैं उन्हें बताया. तब मेरे पिता ने कहा ठीक है, लेकिन पढ़ाई जारी रखो, क्योंकि बहुत सारे लोग क्रिकेट खेलते हैं. दो साल बाद मैंने रणजी ट्रॉफी खेली, तब उन्होंने ठीक महसूस किया और मेरा समर्थन किया. जब तक मैं राज्य के लिए नहीं चुना गया, केवल मेरे भाई को पता था कि मैं गंभीरता से क्रिकेट खेल रहा हूं. मेरे माता-पिता को नहीं पता था." मुकेश चौधरी ने कहा, "मेरी यात्रा कठिन रही है लेकिन मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया. जब मैं पुणे में अकेला था, तो मेरी बहन ने मेरा बहुत साथ दिया. उसके बिना मैं कुछ भी अच्छा नहीं कर पाता था. यहां तक कि जब मुझे चुना गया, तो उन्होंने मुझे अगले चरणों के बारे में सोचने और अच्छा करने के लिए कहा था."
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