IPL Teams Owners Profit: आईपीएल के लिए जब खिलाड़ियों की नीलामी होती तो फ्रेंचाइजी इन्हें खरीदने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती हैं. आईपीएल ऑक्शन में एक खिलाड़ी की कीमत कई करोड़ रुपये होती है. साल 2023 के मिनी ऑक्शन में इंग्लैंड के सैम कर्रन अकेले 18.50 करोड़ रुपये में बिके थे. उन्हें पंजाब किंग्स ने अपनी टीम में शामिल किया. अब सोचिए जब एक खिलाड़ी को खरीदने के लिए फ्रेंचाइजी इतना पैसा खर्च कर सकती हैं तो इनके पास ये पैसे आते कहां से हैं. फ्रेंचाइजी को खिलाड़ियों के अलावा कोच और सपोर्टिंग स्टाफ को भी भुगतान करना पड़ता है. इसके बावजूद टीम मालिकों की कमाई कैसे होती है, इसी बात की चर्चा इस आर्टिकल में करते हैं.
क्या है कमाई का जरिया?
आईपीएल को बीसीसीआई संचालित करता है. आईपीएल टीम और बीसीसीआई के लिए कमाई का जरिया मीडिया और ब्राडकास्ट है. आईपीएल की फ्रेंचाइजी अपने मीडिया और प्रसारण अधिकार बेंचकर सबसे ज्यादा पैसे कमाती हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले प्रसारण अधिकार से होने वाली कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अपने पास रखता था, बाकी 80 फीसदी आईपीएल टीमों को मिलता था. लेकिन अब यह हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत की हो गई है.
विज्ञापन से भी होती है कमाई
आईपीएल फ्रेंचाइजी मीडिया प्रसारण अधिकार बेचने के अलावा विज्ञापन से भी खूब कमाई करती हैं. खिलाड़ियों की टोपी, जर्सी और हेल्मेट पर दिखने वाले कंपनियों के नाम और लोगो के लिए कंपनियां आईपीएल फ्रेंचाइजी को काफी पैसे देती हैं. इसके अलावा आईपीएल के दौरान खिलाड़ी कई तरह के विज्ञापनों की शूटिंग करते हैं. इन विज्ञापनों से भी टीमों की बेशुमार कमाई होती है.
आसानी से समझें टीमों की कमाई
आईपीएल फ्रेंचाइजी कैसे कमाई करती हैं? इसे आसान भाषा में समझते हैं. सबसे पहले आईपीएल टीमों की कमाई को तीन हिस्से में बांटते हैं. ये हैं सेंट्रल रेवेन्यू, प्रोमोशनल रेवेन्यू और लोकल रेवेन्यू. सेंट्रल रेवेन्यू के तहत मीडिया प्रसारण अधिकार और टाइटल स्पॉन्सरशिप आता है. इससे टीम की करीब 60-70 फीसदी कमाई होती है, जबकि प्रोमोशनल रेवेन्यू से 20-30 फीसदी कमाई होती है. वहीं लोकल रेवन्यू से 10 फीसदी कमाई होती है, जिनमें टिकटों की ब्रिकी समेत कुछ और चीजें शामिल हैं.
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