आखरी ओवर के लिएजोफरा आर्चर को बचाकर रखने की रणनीति राजस्थान रॉयल्स के लिए गलत साबित हुई. आखिरी 2 ओवर में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को जीत के लिए 35 रनों की ज़रूरत थी. 19वें और आखरी ओवर में एबी डिविलियर्स के खिलाफ गेंदबाज़ी करने के लिए स्टीवन स्मिथ के पास दो गेंदबाज़ थे- जोफरा आर्चर और जयदेव उनादकट.
19 वें ओवर में गेंदबाज़ी करने से पहले जयदेव उनादकट ने 3 ओवर में 21 रन दिए थे और उन्हीं के हाथों में राजस्थान रॉयल्स के कप्तान ने गेंद थमा दी थी. शायद यही इस मैच की टर्निंग पॉइंट रहा. क्योंकि मॉडर्न डे क्रिकेट में रन डिफेंड करते वक़्त इस तरह की परिस्थिति में अक्सर टीम के नंबर वन गेंदबाज़ों को ही 19वें ओवर में गेंदबाज़ी कराने का ट्रेंड है. बैट्समैन के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि बेस्ट बॉलर के खिलाफ 19वें ओवर में ही ऑल आउट अटैक करें या फिर उससे कमज़ोर गेंदबाज़ के खिलाफ आखरी ओवर में ज़्यादा रन बनाने के लिए कोशिश करें.
लेकिन यहां स्टीव स्मिथ ने 19 वे ओवर में उनादकट को गेंदबाज़ी का ज़िम्मा सौंप दिया और डिविलियर्स ने पहली तीन गेंदों में तीन सिक्सर मार दिए. वहां से मैच पूरी तरह से आरसीबी की तरफ चला गया.
एक तो बाएं हाथ के गेंदबाज़ों के खिलाफ डेथ ओवर्स में डिविलियर्स का रिकॉर्ड काफी अच्छा है. दूसरी तरफ इनफॉर्म गेंदबाज़ जोफरा आर्चर अगर 19 वें ओवर में 12/14 रन भी दे देते तो आखरी ओवर में 20 से ज़्यादा रन बनाना आसान नहीं होता क्योंकि इसमें बलेबाज़ के ऊपर दवाब ज़्यादा रहता है, ऐसा ही देखा गया है.
मैच में आर्चर को जब आखरी ओवर में गेंदबाज़ी का मौका मिला तो उनके हाथ में डिफेंड करने के लिए सिर्फ 10 ही रन थे और आर्चर इसको डिफेंड कर भी नहीं पाएं. वैसे तो टी20 क्रिकेट में किसी प्लानिंग को 100 फीसदी सही या गलत नहीं कहा जा सकता है. लेकिन कहीं न कहीं जोफरा आर्चर अगर 19वें ओवर में गेंदबाज़ी करने आते तो बैंगलोर के लिए मैच जीतना शायद मुश्किल होता.
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