Sachin Tendulkar Birthday: ना होता भाई का त्याग तो क्रिकेट के भगवान नहीं होते सचिन? जानिए संघर्ष की दास्तां
Sachin Tendulkar Birthday: बहुत कम लोग जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर को एक महान क्रिकेटर बनाने में उनके भाई का बहुत बड़ा हाथ था.
Sachin Tendulkar Birthday: क्रिकेट इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल, 1973 को मुंबई में हुआ था. सचिन बचपन में टेनिस और क्रिकेट भी खेला करते थे, लेकिन आगे चलकर क्रिकेट उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाने वाला था. सचिन ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 34,000 से अधिक रन बनाए, 100 शतक लगाए और 164 अर्धशतकीय पारियां भी खेलीं. उन्होंने ब्रेट ली, ग्लेन मैक्ग्राथ और शेन वॉर्न जैसे महान गेंदबाजों के खिलाफ खूब सारे रन बनाए थे. मगर कम ही लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि सचिन की इस अपार सफलता की नींव उनके भाई ने रखी थी.
भाई ने किया सचिन के लिए त्याग
सचिन तेंदुलकर खुद बता चुके हैं कि अजीत और उन्होंने एकसाथ क्रिकेट के सपने को जिया है. वो अजीत ही थे जिन्होंने सचिन तेंदुलकर के अंदर एक प्रतिभा को परखा था और अपने भाई को आगे बढ़ाने के लिए अजीत ने अपने क्रिकेट करियर को त्याग दिया था. ये बात है उस समय की जब सचिन तेंदुलकर 11 साल के हुआ करते थे और तब अजीत उन्हें कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए थे. हालांकि सचिन पहले प्रयास में विफल रहे, लेकिन दूसरे प्रयास में उन्होंने कोच को खासा प्रभावित किया.
'Sachin: A Billion Dreams' डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि कैसे अजीत ने सचिन के कौशल को निखारा और उन्हें एक महान क्रिकेटर बनाने की नींव रखी. ये अजीत का साथ ही था, जिससे सचिन तेंदुलकर मात्र 16 साल की उम्र में भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू कर पाए थे. दोनों भाइयों ने एकसाथ भारत के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखा था, लेकिन अजीत ने सचिन के करियर के लिए क्रिकेट छोड़ने का फैसला लिया था. सचिन बताते हैं कि आचरेकर सर के अंडर आने के बाद उनका जीवन ही बदल गया था. क्रिकेट की दुनिया में इस शानदार सफर को सचिन ने अपने भाई को समर्पित भी किया था.
एक पुरानी याद को बयां करते हुए 'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने बताया कि एक समय पर क्रिकेट टूर्नामेंट हुआ करते थे. वो और अजीत अलग-अलग टीमों के लिए खेल रहे थे. एक टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में दोनों भाइयों की टीमों का आमना-सामना हुआ. सचिन बताते हैं कि वो अपने भाई को नहीं हराना चाहते थे.
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