सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई की टीम ने अपना एक साल पूरा कर लिया है. आईपीएल के 13वें सीजन का आयोजन कराने के अलावा सौरव गांगुली की टीम एक साल में कोई सफलता हासिल नहीं कर पाई. सौरव गांगुली के कार्यकाल के असरदार साबित नहीं होने की सबसे बड़ी वजह कोरोना वायरस महामारी है.
सौरव गांगुली समेत उनकी टीम के चारों अधिकारियों का चयन सर्वसम्मति से हुआ था. इस टीम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) से 33 महीने बाद काम अपने हाथ में लिया था.
मार्च की शुरुआत से ही बीसीसीआई का कामकाज लगभग पूरी तरह से थम सा गया था. सौरव गांगुली बतौर अध्यक्ष किसी तरह से यूएई में आईपीएल के 13वें सीजन का आयोजन करवाने में कामयाब हो गए, लेकिन फरवरी के बाद से अब तक टीम इंडिया ने ना तो इंटरनेशनल क्रिकेट खेला है और ना ही घरेलू स्तर पर क्रिकेट खेला जा रहा है.
पूरी तरह से ठप है घरेलू क्रिकेट
बीसीसीआई ने जनवरी 2021 से घरेलू क्रिकेट की वापसी के संकेत दिए हैं. एक राज्य संघ के अध्यक्ष ने कहा, "सभी अधिकारी बीसीसीआई में नए थे. ईमादारी से कहूं तो उन्हें ज्यादा समय नहीं मिला. वह सैटल होते इससे पहले ही कोविड ने सब कुछ रोक दिया था. प्राथमिकता आईपीएल को बचाने की थी, जो उन्होंने किया. आईपीएल चालू है और पैसा आ रहा है."
उन्होंने कहा, "लेकिन वो ज्यादा कुछ गतिविधियां नहीं कर सके, जैसे की कोविड के कारण घरेलू क्रिकेट का आयोजन. साथ ही भारत के पूर्व कप्तान बीसीसीआई अध्यक्ष हैं तो हम उम्मीद कर रहे थे कि वह घरेलू टूर्नामेंट में नए प्रारूप लेकर आएंगे."
वहीं पूर्वोत्तर के राज्य बीसीसीआई से दुखी हैं क्योंकि उन्हें उनके हिस्से का फंड नहीं मिला है. पूर्वोत्तर के राज्यों में बीसीसीआई को मुद्दों पर ध्यान देने और सुलझाने की जरूरत है.
बता दें कि बतौर अध्यक्ष सौरव गांगुली का कार्यकाल 9 महीने का ही था. लेकिन कार्यकाल बढ़ाने से जुड़ी हुई याचिका के सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से सौरव गांगुली अब तक अध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं.
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