Yuvraj Singh on his test Career: दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह (Yuvraj Singh) को भारत के लिमिटेड ओवर के फ़ॉर्मेट के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक माना जाता है. 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 के वर्ल्ड कप में उन्होंने टीम की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. युवराज ने भारत के लिए 304 एकदिवसीय मैच और 58 टी20 मैच खेलें हैं.  हालांकि उनका टेस्ट करियर इतना ख़ास नहीं रहा है. जिस बात का मलाल खुद युवराज सिंह को भी है. इस बात को लेकर अब उन्होंने बड़ा बयान दिया है. बता दें 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ मोहाली में पदार्पण करने के बाद युवराज ने भारत के लिए 40 टेस्ट खेले हैं. उनके बल्ले से 33.92 की औसत 1900 रन निकले है. 


'नहीं मिला मौका' 


टेस्ट में जगह ना बना पाने को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप उस दौर की तुलना आज से करते हैं, तो आप देखते हैं कि अब खिलाड़ियों को खुद को साबित करने के लिए 10-15 टेस्ट मैच मिलते हैं. उस दौर में आप के पास टीम में जगह बनाने के लिए एक ही मौका था. आप भी सहवाग जैसे सलामी बल्लेबाज बन सकते हैं. टीम में उस समय द्रविड़, सचिन, गांगुली और लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी थे. मैंने लाहौर में शतक बनाया और अगले टेस्ट में मुझे ओपनिंग करने के लिए कहा गया था. 


'मेरी किस्मत में ही नहीं था'


अपने टेस्ट करियर को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में मुझे गांगुली के संन्यास लेने के बाद मौका मिला था. इस दौरान मुझे कैंसर हो गया था. ये दुर्भाग्यपूर्ण था. मैंने इसके लिए हर दिन कोशिश की है. मैं देश के लिए 100 टेस्ट मैच खेलना चाहता था. मुझे उन तेज़ गेंदबाजों का सामना करना था. मुझे भी दो दिन तक बल्लेबाजी करना चाहता था. इसके लिए मैंने हर संभव कोशिश की है. लेकिन शायद ये मेरी किस्मत में ही नहीं था. बता दें कि युवराज सिंह ने अपना आखिरी टेस्ट मैच 2012 में खेला था. 


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