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जानिए, कैसे आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले विकास दुबे के जाल में फंसने से बची उज्जैन पुलिस

जब उज्जैन पुलिस ने उसकी तलाशी ली तो उसके पास से 8 जुलाई का वह टिकट मिला जो उसने झालावाड़ से उज्जैन के लिए खरीदा था. वह सीट नंबर 6 पर बैठकर उज्जैन पहुंचा था.

उज्जैन: अगर आप यह सोचते हैं कि हमेशा गुंडों को फंसाने के लिए पुलिस ही जाल फेंकती है, तो आप शत प्रतिशत सही नहीं सोच रहे हैं. कभी कभी कुख्यात अपराधी भी बचने के लिए और पुलिस को उलझाने के लिए जाल फेंक देते हैं. उज्जैन में विकास दुबे ने पुलिस को उलझाने के लिए जाल फेंका, लेकिन उज्जैन पुलिस नहीं उलझ पाई.

कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को मौत के घाट उतारने वाला विकास 9 जुलाई को उज्जैन पहुंचा था. वह चाहता था कि जैसे तैसे उज्जैन में 3 दिनों तक छिपा रहे. इस दौरान वह किसी भी माध्यम से अदालत में पेश होने की फिराक में था. संभव था कि वह इंदौर की हाई कोर्ट में पेश हो सकता था, लेकिन इसके पहले ही 9 जुलाई को उज्जैन पुलिस ने महाकाल मंदिर समिति के निजी सुरक्षाकर्मी और आम लोगों की मदद से उसे पकड़ लिया.

इसके बाद जब पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने उससे पूछताछ की तो वह गुमराह करता रहा. उसने यह भी बताया कि वह 2 दिन पहले यानी 7 जुलाई को उज्जैन आया था. विकास दुबे चाहता था कि उज्जैन पुलिस उसके बयानों के आधार पर दो-तीन दिनों तक तस्दीक करती रहे, इस बीच वह यूपी पुलिस के हाथों से बचा रहे. इसके बाद वह उज्जैन की कोर्ट में पेश होकर जेल चला जाए. ऐसे उसका केस नया मोड़ ले लेगा और उसे बचने का पूरा मौका मिल जाएगा.

जब उज्जैन पुलिस ने उसकी तलाशी ली तो उसके पास से 8 जुलाई का वह टिकट मिला जो उसने झालावाड़ से उज्जैन के लिए खरीदा था. वह सीट नंबर 6 पर बैठकर उज्जैन पहुंचा था. इसके बाद पुलिस उसके इरादे को भांप गई, क्योंकि विकास पर 70 मुकदमे दर्ज थे, इसलिए वह कानूनी पेचीदगियों के साथ-साथ बचत के रास्ते भी अच्छी तरह जानता था. इस बात की उज्जैन पुलिस और यूपी एसटीएफ को भी जानकारी थी. यही वजह है कि उज्जैन पुलिस ने उसे केवल अभिरक्षा में रखा और उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया. उज्जैन में उसके खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई.

ॉइसके अलावा उसे कोर्ट में भी पेश नहीं किया गया. अगर वह उज्जैन की कोर्ट में पेश होता तो शायद वह बचने के लिए और भी रास्ते निकाल लेता. इस पूरे घटनाक्रम की पुष्टि उज्जैन पुलिस के एक आला अधिकारी ने भी नाम न बताने की शर्त पर की है. उन्होंने यह भी बताया कि यूपी एसटीएफ के साथ उज्जैन पुलिस का एक इंस्पेक्टर भी मध्य प्रदेश की बॉर्डर पर विकास दुबे के साथ उसी गाड़ी में सवार था.

रोया नहीं षड्यंत्र रचता रहा.. विकास दुबे के बारे में यह बात चर्चाओं में है कि वह रोता रहा और उज्जैन पुलिस को यह कहता रहा कि उसे उज्जैन में ही रखा जाए और उत्तर प्रदेश पुलिस के सुपुर्द नहीं किया जाए. इस बात को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा है कि यह बात बिल्कुल निराधार है, उसने किसी भी प्रकार का पछतावा नहीं किया, बल्कि वह जैसे-तैसे पुलिस को गुमराह कर अपना समय निकालने की कोशिश में लगा हुआ था.

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