पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने एमएस धोनी के प्रसिद्ध छक्के को याद किया जिसने भारत को 2011 का विश्व कप दिलाया, और जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में विशेष रहेगा. धोनी ने नुवान कुलसेकरा की गेंद पर छक्का जड़ने के बाद 2 अप्रैल 2011 की रात को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में धमाका किया. यहां भारत ने 28 साल बाद विश्व कप जीता और घर में टूर्नामेंट जीतने वाली पहली टीम बन गई.


गांगुली, जिनकी कप्तानी में साल 2003 में भारत विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था, लेकिन उपविजेता रहा. गांगुली ने स्वीकार किया कि दक्षिण अफ्रीका में आठ साल पहले खिताब के इतने करीब आने के बाद टीम ने अंत में वर्ल्ड कप कब्जा कर ही लिया. गांगुली ने कहा, "मेरे लिए सबसे बड़ा दिन था जब भारत ने 2011 में विश्व कप जीता था. महान एमएस धोनी .....वो शॉट, जिसकी आखिरी गेंद पर छक्का. ये पल भारतीय क्रिकेट इतिहास में बना रहेगा."


"मुझे याद है कि मैं उस रात वानखेड़े स्टेडियम में था और मैं धोनी और टीम को मैदान में देखने के लिए कमेंट्री बॉक्स से नीचे आया था. 2003 में मैं जिस टीम का कप्तान था, वह ऑस्ट्रेलिया से फाइनल हार गई थी, इसलिए मैं यह देखकर बहुत खुश था कि धोनी के पास उस ट्रॉफी को जीतने का अवसर है. ”


भारत के 2011 विश्व कप टीम में कई खिलाड़ी थे जो 2003 में जोहानिसबर्ग में फाइनल में पहुंचे थे. सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान, आशीष नेहरा और हरभजन सिंह ऐसे पांच खिलाड़ी थे, जिनकी विश्व कप जीत का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ. , और गांगुली को यह जानकर खुशी हुई कि कुछ खिलाड़ियों ने जो उनके तहत अपनी शुरुआत की थी, उन्होंने अपने सपने को साकार किया.


उन्होंने कहा, 'उस टीम में सात या आठ खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी. (वीरेंद्र) सहवाग, धोनी, युवराज (सिंह), जहीर (खान), हरभजन सिंह, आशीष नेहरा की पसंद. इसलिए मुझे लगता है कि यह एक ऐसी विरासत है जिसे मैं एक कप्तान के रूप में छोड़ कर बहुत खुश था. गांगुली ने कहा, "यह मेरी सबसे बड़ी विरासत थी कि मैंने एक पक्ष छोड़ दिया, जिसमें घर पर और घर से दूर जीतने की क्षमता थी."