सैयद किरमाणी ने बताया कैसे टीम इंडिया में पहली बार चुने गए थे एमएस धोनी
किरमाणी ने बताया कि कैसे उन्होंने प्रणव रॉय के साथ धोनी को चुना था जो अंत में जाकर सबसे सफल कप्तान और टीम इंडिया के लिए विकेटकीपर बल्लेबाज साबित हुए.
ये जानने में आपको बेहद अजीब लगे लेकिन भारत के बेहतरीन विकेटकीपर ही टीम इंडिया को आज दुनिया के सबसे बेस्ट विकेटकीपर देने के लिए जिम्मेदार हैं. सालों पहले सैयद किरमाणी उस टीम का हिस्सा थे जिसने पहली बार वर्ल्ड कप पर कब्जा किया था तो वहीं वो टीम इंडिया के चेयरमैन ऑफ सेलेक्टर्स भी थे. इस दौरान उनकी नजर एक ऐसे खिलाड़ी पर पड़ी जिसने टीम इंडिया का क्रिकेट इतिहास ही बदलकर रख दिया और देश का सबसे सफल कप्तान भी बना. जी हां हम बात कर रहे हैं एमएस धोनी की.
हालांकि पिछले एक साल से धोनी क्रिकेट मैदान पर एक्टिव नहीं है लेकिन झारखंड का ये विकेटकीपर कभी विकेटकीपर बल्लेबाज और खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर अपनी नौकरी के बीच में फंस गया था. किरमाणी ने बताया कि साल 2004 में जब धोनी ईस्ट जोन की तरफ से खेलते थे उस दौरान सेलेक्टर्स उनका मैच देखने के लिए गए थे. धोनी ने उस दौरान कई लंबे छक्के मारे जिसका नतीजा ये हुआ कि उनका टीम इंडिया में चयन हो गया.
किरमाणी ने आगे बताया कि, मैं और प्रणव रॉय रणजी ट्रॉफी का मैच देख रहे थे. मुझे याद नहीं वो कौन सा मैच था. लेकिन प्रणव उसके गवाह हैं. उन्होंने बताया कि एक झारखंड का विकेटकीपर बल्लेबाज है जो युवा है और सेलेक्शन के लिए चुना जाना चाहिए.
मैंने प्रणव से पूछा कि क्या वो इस मैच में विकेटकीपिंग कर रहे हैं तो मुझे उन्होंने कहा कि नहीं वो फाइन लेग पर खड़े हैं. इसके बाद किरमाणी ने धोनी के पिछले 2 सालों के स्टैट्स देखें और वो हैरान हो गए. किरमाणी ने कहा कि, उनकी बल्लेबाजी शानदार थी. मैंने उन्हें विकेटकीपिंग करते नहीं देखा और सीधे उन्हें ईस्ट जोन में चुनने के लिए कह दिया. बाकी का इतिहास है.
बता दें कि उस दौरान टीम इंडिया में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं था जो बेहतरीन विकेटकीपिंग कर पाए. नयन मोंगिया पहले ही मैच फिक्सिंग में फंसे थे, सबा करीम का करियर खत्म हो चुका था ऐसे में टीम को राहुल द्रविड़ से विकेटकीपिंग करवानी पड़ी. 2003 वर्ल्ड कप खत्म होने के बाद मुंबई के समीर दिघे, हरयाणा के अजय रात्रा और बंगाल के दीप दास गुप्ता के नाम सामने आए लेकिन कोई जगह नहीं बना सका.
उस दौरान एडम गिलक्रिस्ट और कुमार संगकारा जैसे विकेटकीपर्स धमाल मचा रहे थे जो विकेट के पीछे तो कमाल थे ही लेकिन उनकी बल्लेबाजी भी लाजवाब थी. लेकिन टीम इंडिया अभी भी दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल के बीच कंफ्यूज थी क्योंकि दोनों विकेटकीपर बल्लेबाजी में कमाल नहीं कर पा रहे थे.
इसके बाद साल 2004 में धोनी आए और श्रीलंका के खिलाफ ऐसी पारी खेली तीन सालों के भीतर ही वो टीम इंडिया के कप्तान भी बन गए. ऐसे में किरमाणी ने कहा कि एक विकेटकीपर, कप्तान के लिए आंख का काम करता है उसे पता होता है कि फील्डिर्स कहां लगाना चाहिए और कैसी गेंदबाजी करनी चाहिए. और धोनी ने ठीक ऐसा ही किया.
धोनी ने अपनी विकेटकीपिंग स्किल्स और बल्लेबाजी की मदद से इस युग के क्रिकेट को बदलकर रख दिया है.