मां लगाती हैं सब्जी का ठेला, बेटी जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में मचा रही है धूम
दक्षिण अफ्रीका में चल रहे जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में लखनऊ की मुमताज 6 गोल के साथ तीसरी सबसे ज्यादा गोल करने वाली खिलाड़ी बनी हुई हैं.
दक्षिण अफ्रीका में चल रहे महिला जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में भारतीय टीम धूम मचा रही है. भारतीय टीम यहां सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है. क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने दक्षिण कोरिया को 3-0 से हराकर सेमीफाइनल की टिकट कटाई है. इस जीत में लखनऊ की जूनियर खिलाड़ी मुमताज खान की खास भूमिका रही. उन्होंने ही भारत के लिए 11वें मिनट में पहला गोल कर अपनी टीम को लीड दिलाई थी. क्वार्टर फाइनल से पहले ग्रुप स्टेज में भी वह 5 गोल दाग चुकी हैं. इस तरह कुल छह गोल के साथ मुमताज टूर्नामेंट की तीसरी सबसे ज्यादा गोल करने वाली खिलाड़ी हैं.
मुमताज ने भारत के शुरुआती मैच में वेल्स के खिलाफ और फिर टूर्नामेंट की फेवरेट मानी जा रही जर्मनी के खिलाफ विजयी गोल दागा था. इसके बाद मलेशिया के खिलाफ भी उन्होंने शानदार हैट्रिक लगाई थी. इस वर्ल्ड कप में यह होनहार खिलाड़ी अपने प्रदर्शन के जरिए खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. लेकिन क्या आप इस युवा खिलाड़ी के संघर्ष से वाकिफ हैं? अगर नहीं तो ये आर्टिकल जरूर पढ़ें.
बेटियों के लिए सब्जी का ठेला लगाती है मां
मुमताज की मां का नाम कैसर जहां हैं. वह रोजाना लखनऊ के तोपखाना बाजार में सड़क के किनारे सब्जी का ठेला लगाती हैं. कड़कड़ाती ठंड हो या चिलचिलाती धूप या फिर जोरदार बारिश, कैसर जहां को यहां ठेला लगाना ही होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मुमताज के अलावा भी उनकी पांच बेटियां हैं. इतने बड़े परिवार का पालन-पोषण करना और रोजगार का कोई अन्य साधन न होने के चलते उन्हें यह करना पड़ता है.
मुमताज के पिता हाफिज पहले साइकिल रिक्शा चलाते थे, लेकिन उम्र ज्यादा होने के कारण वे यह नहीं कर पाते. ऐसे में कैसर जहां को ही अपने परिवार की रोजी-रोटी के लिए सब्जी का ठेला लगाना होता है. इस सब्जी की दुकान से इतना ही पैसा आता है कि बस घर का रोजाना का खर्च और 6 बच्चियों की स्कूल की फीस भरी जा सके. ऐसे में मुमताज के लिए हॉकी किट खरीद पाना मां कैसर जहां के लिए नामुमकिन है. लेकिन वह कहावत है ना कि किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाकर रहती है, तो कुछ ऐसा ही मुमताज के साथ होता आया है. उसके लिए हॉकी किट की व्यवस्था उसके कोच ही करते थे.
मुमताज की हॉकी में दिलचस्पी की कहानी भी कुछ अलग ही है. साल 2013 में मुमताज अपनी स्कूल एथलेटिक्स टीम के साथ एक प्रतियोगिता के लिए आगरा गई थी. यहां मुमताज टॉप पर रहीं थीं. इसके बाद एक स्थानीय कोच ने मुमताज को हॉकी खेलने का सुझाव दिया. बस यहां से मुमताज ने हॉकी खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे सफलता के कदम चढ़ती गई.
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