Exclusive: 300 रुपये रोजाना पर खेत में मजदूरी करता था गुजरात का यह स्टार खिलाड़ी, abp न्यूज से बयां की संघर्ष की कहानी
Pro Kabaddi League में आने से पहले 300 रूपये रोजाना की दिहाड़ी पर गन्ने के खेत में काम करते थे शंकर. पढ़िए उनका बेहद खास इंटरव्यू.
Shankar Gadai Kabaddi: प्रो कबड्डी लीग (PKL) ने कई खिलाड़ियों की जिंदगी बदली है. हर सीजन कुछ ऐसी कहानियां सामने आती हैं जो हमें प्रेरणा देती हैं. इस सीजन एक ऐसी ही कहानी सामने आई है जिसे जानकर आप भी आश्चर्य करेंगे. ये कहानी है महाराष्ट्र के शंकर गडई की जिन्होंने मजदूरी करते हुए भी खेल में नाम कमाने के सपने को नहीं छो़ड़ा और आज गुजरात जॉयंट्स की टीम से पीकेएल खेल रहे हैं. एबीपी न्यूज के साथ खास बातचीत में शंकर ने अपनी कहानी बताई जिसे पढ़कर आप प्रेरित जरूर होंगे.
शंकर के परिवार में कोई अधिक पढ़ा-लिखा नहीं था और उनके परिवार की कमाई मजदूरी करने से होती है. माता-पिता गन्ने की कटाई करके परिवार चलाते हैं और शंकर ने भी उनका इस काम में हाथ बंटाया.
शंकर बताते हैं, "मेरे पैदा होने से पहले ही घरवाले मजदूरी करते थे. हमारे पास कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं था. मैंने भी उनका हाथ बंटाना शुरु किया, लेकिन मुझे ऐसा लगता था कि खेल से कुछ मिल सकता हैं. मैंने सातवीं कक्षा से ही कबड्डी खेलना शुरु किया था. इसके बाद मैं गांव में ही स्थित कबड्डी अकादमी में जाने लगा और यहां से मेरे सफर की शुरुआत हुई."
कबड्डी जैसे खेल में आपको कमाने के मौके बेहद कम मिलते हैं और ऐसे में शंकर का संघर्ष लगातार बढ़ता ही जा रहा था. उन्हें परिवार का समर्थन करने और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लगातार मजदूरी करते रहना पड़ा.
उन्होंने बताया, "मैं काफी आगे तक कबड्डी खेला, लेकिन कमाई नहीं हो रही थी. कभी हजार तो कभी दो हजार रूपये मिलते थे. पढ़ाई भी करनी थी और परिवार को सपोर्ट भी करना था तो मजदूरी करना जारी रखा. पांच बजे खेत से छुट्टी मिलने के बाद प्रैक्टिस के लिए जाता था."
शंकर ने महाराष्ट्र के साथ सीनियर नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप का फाइनल खेला था. 24 साल के शंकर की कप्तानी में यह महाराष्ट्र के लिए बड़ी उपलब्धि थी. इस प्रदर्शन के बाद उन्हें पीकेएल में बिकने की उम्मीद थी.
उन्होंने बताया, "पीकेएल की नीलामी जब चल रही थी तो मैं खेत में था और मैंने अपना फोन बंद कर रखा था. शाम को जब फोन चालू किया तो पता चला कि मुझे गुजरात ने खरीदा है. सारे लोग काफी खुश थे और मैं भी खुश था कि मुझे मेरी मेहनत का फल मिला."
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