Khelo India Youth Games: चाय वाले की बेटी ने जीता गोल्ड, महाराष्ट्र ने 9 गोल्ड से बढ़त बनाई; हरियाणा दूसरे नंबर पर
Khelo India Youth Games: महाराष्ट्र 09 गोल्ड मेडल जीतकर प्वाइंट्स टेबल में पहले स्थान पर है जबकि हरियाणा छह गोल्ड मेडल के साथ दूसरे नंबर पर है.
Khelo India Youth Games: भारोत्तोलक काजोल सरगर खेलो इंडिया युवा खेलों की पहली गोल्ड मेडल विजेता बनीं. महाराष्ट्र 09 गोल्ड मेडल जीतकर प्वाइंट्स टेबल में पहले स्थान पर है जबकि हरियाणा छह गोल्ड मेडल के साथ दूसरे नंबर पर है.
सांगली की 16 साल की काजोल के पिता चाय बेचते हैं. उन्होंने महिलाओं की 40 किग्रा वर्ग स्पर्धा में कुल 113 किग्रा (स्नैच में 50 किग्रा और क्लीन एवं जर्क में 63 किग्रा) वजन उठाया. काजोल ने पिछले साल युवा राष्ट्रीय खेलों में कांस्य पदक जीता था.
महाराष्ट्र ने रविवार को नौ स्वर्ण पदक जीतकर तालिका में पहले स्थान पर है जबकि हरियाणा ने छह स्वर्ण से दूसरे स्थान पर है. हरियाणा ने हालांकि संख्या में सबसे ज्यादा 23 पदक (पांच स्वर्ण, छह रजत और 12 कांस्य) जीते. महाराष्ट्र ने 17 (नौ स्वर्ण, चार रजत और चार कांस्य) पदक जीते.
भारोत्तोलन में दो नये युवा राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बने. महाराष्ट्र ने भारोत्तोलन में दाव पर लगे चार में से तीन स्वर्ण और योगा में तीन स्वर्ण और साइकिलिंग में एक स्वर्ण अपने खाते में डाला. हरियाणा ने कुश्ती मैट पर अपना दबदबा बरकरार रखते हुए दाव पर लगे सभी पांच स्वर्ण पदक जीते.
खेतिहर मजदूरों की बेटियों से सजी आंध्र की कबड्डी टीम ने की शानदार शुरुआत
खेलो इंडिया युवा खेल में भाग ले रही आंध्र प्रदेश की महिला कबड्डी टीम के 12 सदस्यों में से नौ खेत में काम करने वाले मजदूर की बेटियां है जिन्होंने शुक्रवार को शुरूआती मैच में छत्तीसगढ़ को 40-28 से हराकर अपने अभियान का शानदार आगाज किया. इस मैच में 14 अंक बनाने वाली वंदना सूर्यकला ने कहा, ‘‘ इससे क्या फर्क पड़ता है कि मैं खेत में मजदूरी करने वाले की बेटी हूं. मुझे अपने माता-पिता पर गर्व है. इन खेलों में पदार्पण कर रही इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ सभी का कोई पेशा होता है और मेरे माता-पिता पेशे से मजदूर हैं. मुझे उन पर बहुत गर्व है.’’
राज्य के विजयनगरम के पास कापूसम्भम की इस खिलाड़ी ने यहां के ताउ देवी लाल स्टेडियम में दमदार जीत के बाद कहा, ‘‘ मैंने एक धावक के रूप में शुरुआत की थी. जब मैं छोटी थी तो मैं खेतों में दौड़ती थी. सात साल की उम्र में मैंने अपने सभी दोस्तों को कबड्डी खेलते हुए देखकर इस खेल का रूख किया.’’
पदार्पण कर रही जीएनआर जूनियर कॉलेज की छात्रा मुनाकला देविका ने भी इसी तरह की बात कही. उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने माता-पिता पर गर्व है और यह उनकी वजह से है कि हम यहां हैं. उन्होंने हमें खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया है. हमें परिवार का समर्थन मिला.’’
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