नई दिल्ली: चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव वनडे में हैट्रिक लेने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज हैं. उनसे पहले पूर्व विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव ने 1991 में वनडे में हैट्रिक ली थी. जबकि कुलदीप ने सितंबर 2017 में हैट्रिक लेने का कारनामा किया था. कुलदीप ने सितंबर 2017 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए दूसरे वनडे मैच में लगातार तीन गेंदों पर मैथ्यू वेड, एश्टन एगर और पैट कमिंस को आउट करके वनडे में अपनी हैट्रिक पूरी कर भारत की जीत सुनिश्चित की थी.
भारत के लिए अब तक 60 वनडे मैचों में 104 विकेट ले चुके कुलदीप ने कहा है कि हैट्रिक लेने के लिए पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें गेंद को स्टंप टू स्टंप रखने को कहा था. कुलदीप इस समय आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खेलने के लिए दुबई में हैं.
उन्होंने अपनी आईपीएल टीम की वेबसाइट पर कहा, "मैंने विराट भाई से बात की और उनसे पूछा कि क्या मैं दूसरे छोर से गेंदबाजी कर सकता हूं. उन्होंने मुझसे कहा कि एक बार चहल का स्पेल खत्म हो जाए तो मैं उस छोर से गेंदबाजी कर सकता हूं. मैंने बहुत अच्छी लय पकड़ ली और स्पॉट में गेंदबाजी करना शुरू किया."
उन्होंने कहा, " मैंने पहली ही गेंद पर मैथ्यू वेड का विकेट निकाल लिया और फिर अगली ही गेंद पर एश्टन एगर को पवेलियन चलता किया. तीसरे गेंद के लिए मैंने माही भाई (धोनी) से पूछा कि कैसी गेंदबाजी करनी है. जब आपके पास गेंदबाजी में काफी विविधताएं होती है तो आप दुविधा में होते हैं कि कौन सी गेंदबाजी किया जाए. उन्होंने मुझे सिर्फ वही करने दिया जो मुझे सही लगा, लेकिन साथ ही यह भी सुझाव दिया कि मैं स्टंप पर रखूं."
कुलदीप ने आगे कहा, " हैट्रिक वाली गेंद पर मैंने स्लिप और गली में फिल्डर खड़े किए थे. किस्मत से मैंने अच्छी गेंद की और गेंद ने बल्ले का किनारा ले लिया. और फिर मैंने ईडन गार्डन पर हैट्रिक लेने की उपलब्धि अपने नाम कर ली. यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा पल था." कुलदीप के नाम वनडे में दो बार हैट्रिक लेने का रिकॉर्ड है. उन्होंने दिसंबर 2019 में भी वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए वनडे मैच में हैट्रिक ली थी. वह वनडे में दो बार हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज हैं.
धोनी की विकेटकीपिंग को लेकर कुलदीप यादव ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था, ''मैंने जब करियर की शुरुआत की थी तो मैं पिच को भाप नहीं पाता था. धोनी के साथ खेलने के बाद मैंने यह सीखा. वह विकेट के पीछे से बताते थे कि गेंद को कहां से स्पिन कराना है.''
उन्होंने आगे कहा था, 'माही भाई फील्ड जमाने में भी माहिर थे. उन्हें पहले ही पता होता था कि बल्लेबाज़ कौनसा शॉट खेलेगा, वह उसी हिसाब से फील्ड लगाते थे. धोनी के साथ मुझे विश्वास के साथ गेंदबाजी करने में मदद मिली. जब से वह टीम से गए हैं, तब से मेरा आत्मविश्वास भी चला गया.'
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