नई दिल्ली: मिल्खा सिंह जिन्हें फ्लाइंग सिख भी कहा जाता है, उनका हाल ही में जन्मदिन था. मिल्खा सिंह ने अपना और देश का नाम रोशन किया है ये सभी जानते हैं. भारत को अंग्रेजी दासता से आजाद हुए अधिक समय नहीं बीता था. ये वो दौर था जब देश अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहा था लेकिन एक शख्स और था जो पैरों से उड़ने की कोशिश कर रहा था. यह मिल्खा सिंह थे. विभाजन के बाद वो शरणार्थी के तौर पर भारत आए. मिल्खा सिंह ने बचपन से लेकर जवानी तक बहुत दर्द झेले. वे कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे लोग उन्हें जानें. वे देश के लिए कुछ करना चाहते थे. इस सपने को साकार करने के लिए उन्होने दौड़ का मैदान चुना.
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मिल्खा सिंह ने तय कर लिया कि उन्हें दौड़ना है. मिल्खा ने कुल 75 रेस जीतीं. 1960 में मिल्खा ने रोम ओंलपिक में 400 मीटर की दौड़ में प्रतिभाग किया,लेकिन पीछे मुड़ के देखने के कारण वे इस रेस में चौथे स्थान पर आए. इस रेस से मिल्खा सिंह का नाम पहली बार दुनिया भर में सुर्खियों में आया. चौथे स्थान पर रहने के बाद भी मिल्खा ने ऐसा रिकार्ड बनाया जिसे 40 साल तक कोई नहीं तोड़ सका. इस रेस को उन्होने 45.73 सेकेंड में पूरा किया. जो एक रिकार्ड बन गया. मिल्खा सिंह ने 1958 के एशियाई खेलों में 200मीटर व 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता, इसके बाद 1962 में एशियाई खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया. कॉमनवेल्थ खेलों में भी मिल्खा सिंह ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया.
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खेल में दिए गए योगदान को याद करते हुए वर्ष 1959 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया इसके बाद वर्ष 2001 में उन्हें अर्जुन अवार्ड दिया गया. लेकिन अर्जुन अवार्ड लेने से उन्होंने यह कहकर इंकार दिया कि यह पुरस्कार उन्हें देर से दिया गया. मिल्खा सिंह पर एक फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' का निर्माण किया गया. इस फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश थे और फराहान अख्तर ने इस फिल्म में मिल्खा सिंह का रोल निभाया था.
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