दुनिया के सबसे महान बॉक्सर माने जाने वाले मोहम्मद अली ने आज ही के दिन (3 जून 2016) दुनिया से अलविदा कह दिया था. इस महान खिलाड़ी का नाम न सिर्फ अपने शानदार स्पोर्ट्स करियर की वजह से अमर है बल्कि रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी उन्हें हमेशा इतिहास में याद रखा जाएगा. फिलहाल अमेरिका इसी रंग भेद की आग में चल रहा है.
इसी रंगभेद के खिलाफ कभी मोहम्मद अली ने भी आवाज उठाई थी. इस महान मुक्केबाज ने 18 साल से भी कम उम्र में अपने देश का नाम रोशन कर दिया था उस वक्त उनका नाम कैसियस क्ले था. क्ले ने 1960 के रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था.
हालांकि उनकी यह कामयाबी भी उन्हें रंगभेद का शिकार होने से नहीं रोक सकी. गोल्ड मेडल जीतकर जब क्ले अपने देश वापस लौटे तो उनका सामना उस घटना से हुआ जिससे उन्हें पता चल गया कि अमेरिका में रंगभेद की जड़ें कितनी गहरी है.
मोहम्मद अली एक रेस्टोरेंट में जाना चाहते थे, लेकिन यह रेस्टोरेंट सिर्फ गोरों के लिए था. सड़क पर कुछ श्वेत लोगों ने उनसे उनका पदक भी छीनने की कोशिश की. इसके बाद ही मोहम्मद अली ने अपना गोल्ड मेडल ओहियो नदी में फेक दिया. वह सम्मान जिसे पाना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है.
इस घटना के बाद कैसियस क्ले इतने दुखी थे कि उन्होंने अपनी पहचान बदल ली. उनके बचपन का नाम केसियस क्ले था लेकिन उन्होंने अपना धर्म बदल कर इस्लाम अपना लिया और वह सारी दुनिया में फिर अपने नए नाम मोहम्मद अली के नाम से पहचाने जाने लगे. मोहम्मद अली जो न सिर्फ अपने खेल के लिए जाना गए बल्कि रंगेभेद विरोध का एक अमर प्रतीक भी बन गए.
इस घटना के सालों बाद 1996 में अली को अटलांटा ओलंपिक के दौरान एक बास्केटबॉल इंटरमिशन में रिप्लेसमेंट मेडल दिया गया था. यह भी बता दें अटलांटा ऑलंपिक की टॉर्च अली ने ही जलाई थी.
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