नई दिल्ली: एमएस धोनी उन खिलाड़ियों के लिए एक बड़े आदर्श हैं जिनके पास शुरू में तो कुछ नहीं था लेकिन अब सबकुछ हैं. रांची के इस खिलाड़ी ने साल 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में मिली हार के बाद अब तक टीम इंडिया में वापसी नहीं की है. ऐसे में फैंस को इस खिलाड़ी का अभी भी बेसब्री से इंतजार है.


5 अप्रैल 2020 को को 15 साल पूरे हो गए जब एमएस धोनी ने अपना पहला इंटरनेशनल शतक जड़ा था. इसके बाद उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापट्टनम में वनडे मैच में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा गया. धोनी ने आते ही पाकिस्तान की धुनाई करनी शुरू करदी और 123 गेंदों में ही 148 रन जड़ दिए.


एमएस धोनी के टीममेट आशीष नेहरा को आज भी ये पारी याद आती है. नेहरा ने कहा कि, धोनी को शुरू के मैचों में वो सफलता नहीं मिली. लेकिन उनके जैसा आत्मविश्वास से भरा खिलाड़ी मौकों की तलाश में रहता था. धोनी के लिए ऐसा था जैसे वो शिकार पर निकले हैं और उनके मुंह खून लग गया है. नेहरा ने कहा कि उस पारी के बाद धोनी ने शायद ही कभी नंबर 3 पर बल्लेबाजी की है.


नेहरा ने धोनी को लेकर ये भी कहा कि उनकी कुछ चीजें उन्हें दूसरे विकेटकीपर जैसे दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल से अलग करती हैं. धोनी जब आए थे तो वो बेस्ट विकेटकीपर नहीं थे. उनसे पहले जितने लोगों ने खेला था वो उनसे बेहतर थे. वो न तो किरण मोरे थे और न ही नयन मोंगिया.


नेहरा ने आगे कहा कि, पार्थिव और डीके को जो मौके मिले वो उसका ज्यादा फायदा उठा नहीं पाए लेकिन धोनी ने सभी मौकों पर छक्का मारा. वो बेस्ट विकेटकीपर तो नहीं थे लेकिन हां वो बेस्ट विकेटकीपर बल्लेबाज जरूर थे. इसके बाद धोनी बेस्ट कप्तान में भी गिने जाने लगे जहां पहले तो उन्होंने टीम इंडिया को 3 आईसीसी ट्रॉफी जितवाई और फिर बाद में चेन्नई को चैंपियन बनाया.


नेहरा ने कहा कि मुझे पहले के कप्तानों के बारे में तो नहीं पता लेकिन धोनी और गांगुली क्रिकेट के बेस्ट कप्तान थे. दोनों को पता होता था कि कैसे खिलाड़ियों से बेस्ट प्रदर्शन करवाना है.