दुनिया के लिये वह महानतम फुटबॉलर थे लेकिन नैपोली के फुटबॉलप्रेमियों के लिये डिएगो माराडोना का दर्जा खुदा से कम नहीं था. माराडोना की अगुवाई में नैपोली ने 1987 और 1990 में दो सीरि ए खिताब जीते थे. इससे देश के फुटबॉल मानचित्र पर इस छोटे से शहर का नाम उभरा जो मिलान और तूरिन जैसे महानगरों के आगे दबा रहता था. नैपोली के पूर्व अध्यक्ष कोराडो फेरलेइनो ने कहा कि माराडोना सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं थे. वह बरसों तक नैपोली की ऊर्जा का स्रोत रहा.
हजारों लोग सड़कों पर उतरे
माराडोना के प्रवक्ता सेबेस्टियन सांची ने कहा कि इस महान फुटबॉलर का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. इस खबर को सुनते ही नैपोली में हजारों लोग सड़कों पर निकल पड़े और उनकी याद में मोमबत्तियां जलाई. यह शहर कोरोना महामारी के चलते रेड जोन में है लेकिन इसके बावजूद लोग जमा हुए. एक फुटबॉलप्रेमी फ्रांसिस्को एरिको ने कहा कि यह इतना भावुक करने वाला पल है कि हम इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते.
नैपोली के हीरो थे माराडोना
नैपोली के मेयर लुइगी डे मजिस्ट्रिस ने कहा कि उन्होंने हमें बहुत कुछ दिया. वह हमारे लिए जज्बात का सैलाब बनकर आये. उन्होंने दुनिया भर में नैपोली के लोगों को एकजुट किया. हमारे मन में उनके लिए अपार प्रेम और सम्मान है. माराडोना ने इटली के लोगों को रूलाया था जब 1990 विश्व कप सेमीफाइनल में अर्जेंटीना ने इटली को मात दी थी. नैपोली के कई प्रशंसकों ने तब माराडोना के लिये तालियां बजाई थी.
माराडोना सात सत्र तक नैपोली के साथ रहे और 1989 में उसे युएफा कप खिताब भी जिताया. कहा जाता है कि उन्हें कोकीन की लत भी इसी शहर में लगी. नैपोली ने माराडोना की याद में अपने ट्विटर अकाउंट का नीला लोगो काला कर दिया है.
क्या आपको पता है मारोडोना के 11 बच्चे थे, जानिए-परिवार से जुड़ी अनसुनी कहानियां