क्रिकेट के प्रति एक 'मां' की ऐसी दीवानगी, जो बन गई मिसाल
कहते हैं कि अगर किसी चीज़ को हासिल करने की ठान ली जाए तो उसे पाने से फिर कोई रोक नहीं सकता. ऐसा ही कुछ दिल्ली की महिला क्रिकेटर नेहा तंवर के साथ देखने को मिला है. नेहा की कहानी जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे कि कैसे उन्होंने अपने जुनून से अपनी मंजिल हासिल की.
नई दिल्ली: भारत में क्रिकेट को एक धर्म की तरह माना जाता है. लाखों खिलाड़ी ना जाने कितनी मुश्किलों और परेशानियों का सामना करते हुए सिर्फ एक ही सपना देखते हैं कि एक दिन उसे भारत के लिए खेलने का मौका मिलेगा. इसके लिए खिलाड़ी मैदान पर सब कुछ त्याग कर कड़ी मेहनत करते हैं.
इन सबके बावजूद इनमें से अधिकतर खिलाड़ियों के सपने हकीकत में तब्दील नहीं हो पाते हैं, लेकिन कहते हैं कि अगर किसी चीज़ को हासिल करने की ठान ली जाए तो उसे पाने से फिर कोई रोक नहीं सकता. ऐसा ही कुछ दिल्ली की महिला क्रिकेटर नेहा तंवर के साथ देखने को मिला है. नेहा की कहानी जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे कि कैसे उन्होंने अपने जुनून से अपनी मंजिल हासिल की.
क्रिकेट से संन्यास के दो साल बाद नेहा ने बांग्लादेश ए के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज के लिए भारतीय महिला ए टीम में वापसी की.
जी हां, एक बच्चे की मां नेहा तंवर की टीम में वापसी कई मायनों में खास और प्रेरणादायी है. नेहा ने ना सिर्फ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाया बल्कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए 31 साल की उम्र में अपने अंदर खेल के प्रति जुनून को भी जिंदा रखा.
भारत के लिए 5 वनडे और 2 टी-20 इंटनेशनल मैच खेलने वाली नेहा शायद एकलौती ऐसी महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने मां बनने के बाद क्रिकेट के मैदान पर वापसी की है.
दिल्ली में पली बढ़ी नेहा को शुरु से ही खेल-कुद पसंद था. हालांकि नेहा को क्रिकेट से ज्यादा एथलेटिक्स में रुची थी, लेकिन उनकी किस्मत में कुछ और ही था और कॉलेज के दिनों में नेहा का सेलेक्शन दिल्ली युनिवर्सिटी की क्रिकेट टीम में हो गया.
यहीं से नेहा ने क्रिकेट को अपना पैशन बना लिया और फिर वह एक नए सफर पर निकल पड़ीं. इसके बाद नेहा ने अपने प्रर्दशन के दम पर अंडर-19, सीनियर लेवल, इंटर-ज़ोनल, चैलेंजर ट्रॉफ़ी में जगह बनाई, लेकिन नेहा का सपना तब पूरा हुआ जब उन्हें साल 2011 में भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला, जो हर महिला या पुरुष क्रिकेटर का एक सपना होता है.
क्रिकेट से नेहा को इतनी मोहब्बत हो गई कि वह इसके बिना नहीं रह सकती थी. इसी बीच नेहा की शादी भी हो गई. शादी के बाद भी नेहा को उनके परिवार वालों ने क्रिकेट खेलने से नहीं रोका. इस दौरान नेहा गर्भवती हुईं और उन्हें मजबूरन क्रिकेट छोड़ना पड़ा. क्रिकेट से अलग होना नेहा के लिए बहुत मुश्किल था लेकिन वह क्रिकेट के बिना रह भी नहीं सकती थी.
क्रिकेट के मैदान से दूर होने के बाद नेहा हर चीज में क्रिकेट को ढूंढती थी. टीवी पर मैच देखती रहती थी, कमेंटरी सुनती थी और अपने पुराने खेल के वीडियो देखती. एक समय नेहा को लगा कि वह अब कभी क्रिकेट के मैदान पर वापसी नहीं कर पाएंगी.
बच्चे के जन्म के बाद लंबे वक्त तक क्रिकेट के मैदान से दूर रहने वाली नेहा ने एक बार फिर से मैदान पर वापसी का मन बनाया लेकिन नेहा के लिए वापसी करना आसान नहीं था. नेहा का वजन 20 किलो तक बढ़ चुका था ऐसे में इंटरनेशल क्रिकेट में वापसी के लिए उन्हें अपनी फिटनेस पर जमकर मेहनत करने की जरुरत थी.
नेहा ने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे अपनी ट्रेनिंग शुरु की और खुद को इस काबिल बनाया कि वे फिर से क्रिकेट के मैदान पर वापसी कर सकें. भारतीय महिला ए टीम में वापसी कर नेहा ने यह साबित कर दिया है कि अगर आपके अंदर जुनून और जज्बा है तो, आपके सपने को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता.