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Nikhat Zareen: मैरी कॉम को चुनौती देने से लेकर दो बार वर्ल्ड चैंपियन बनने तक, ऐसा रहा है निकहत जरीन का सफर

Nikhat Zareen's Journey: निकहत जरीन एक से ज्यादा बार महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप जीतने वाली दूसरी भारतीय एथलीट बन गई हैं. यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें मैरी कॉम तक को चुनौती देनी पड़ी है.

Nikhat Zareen Career: भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन एक बार फिर महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में विजेता बन चुकी है. उन्होंने 50kg भारवर्ग में यह टाइटल जीता. यह दूसरी बार है जब निकहत वर्ल्ड चैंपियन बनी हैं. पिछले साल भी उन्होंने यह टाइटल जीता था. मैरीकॉम के बाद निकहत दूसरी भारतीय महिला मुक्लेबाज बन गई हैं, जिन्होंने एक से ज्यादा बार महिलाओं की विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड जीता है. वैसे, निकहत का यह सफर आसान नहीं रहा है. उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए भारतीय मुक्केबाजी जगत की लीजेंड मैरीकॉम तक से टक्कर लेनी पड़ी है.

पिता के कारण लगा बॉक्सिंग का शौक
तेलंगाना के निजामाबाद की रहने वाली 26 वर्षीय निकहत को बचपन से ही बॉक्सिग का शौक था. यह शौर उन्हें अपने पिता मोहम्मद जमील से मिला. जमील भी बॉक्सर थे. वह निकहत को बचपन से ही बॉक्सिंग अकेडमी ले जाया करते थे, जहां निकहत दमदार अंदाज में विपक्षी मुक्केबाजों पर पंच बरसाया करती थी. 14 साल की उम्र में ही निकहत को बॉक्सिंग में पहली बड़ी सफलता मिल चुकी थी. उन्होंने जूनियर बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था. बस इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई बॉक्सिंग टूर्नामेंट्स में टाइटल जीते.

बॉक्सिंग फेडरेशन के फैसले ने तोड़ा सपना
निकहत ने सीनियर लेवल पर खेलते हुए 2019 में स्ट्रैंजा मेमोरियल खिताब अपने नाम किया था. यह टाइटल जीतने के बाद निकहत वर्ल्ड चैंपियनशिप और टोक्यो ओलंपिक में जाने का सपना देखने लगी. हालांकि उनके इस सपने में सबसे बड़ी बाधा उनकी आइडल एमसी मैरी कॉम बनी, जो कि उसी भारवर्ग में मुक्केबाजी करती थीं, जिसमें निकहत थी. अगस्त 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में जाने के लिए भारतीय मुक्केबाजों के ट्रायल हो रहे थे लेकिन बॉक्सिंग फेडरेशन के एक फैसले ने निकहत के सपनों को तोड़ दिया.

भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन ने 51 किग्रा कैटगरी के लिए मैरी कॉम को सीधे वर्ल्ड चैंपियनशिप में एंट्री दे दी. यानी इस कैटेगरी के ट्रायल रद्द कर दिए गए. अधिकारियों का कहना था कि मैरी कॉम को कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है और उनके जीतने की संभावना ज्यादा है. यहां निकहत ने बॉक्सिंग फेडरेशन से ट्रायल की मांग की लेकिन उनकी इस मांग को खारिज कर दिया गया.

टोक्यो ओलंपिक के ट्रायल रद्द हुए तो उठाई आवाज़
वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 में मैरी कॉम गोल्ड नहीं जीत पाईं, हालांकि उन्हें ब्रॉन्ज जरूर मिला. अब बारी टोक्यो ओलंपिक 2020 की थी. यहां भी बॉक्सिंग फेडरेशन ने निकहत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. फेडरेशन ने एलान किया कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक लाने वाले बॉक्सर्स को टोक्यो ओलंपिक में डायरेक्ट एंट्री मिलेगी. यानी टोक्यो ओलंपिक में भी फेडरेशन मैरी कॉम को भेजने की तैयारी में था. निकहत ने एक बार फिर ओलंपिक में जाने के लिए ट्रायल की मांग की लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी गई. यहां उन्होंने सीधे खेल मंत्री किरण रिजीजू को खत लिखकर अपनी आवाज बुलंद की. आखिरी में बॉक्सिंग फेडरेशन को यह ट्रायल कराने पड़े. हालांकि निकहत को यहां हार का सामना करना पड़ा और वह टोक्यो ओलंपिक नहीं जा सकी.

साल 2022 में सपनों ने लिया आकार
साल 2022 में निकहत का बड़े टूर्नामेंट में बॉक्सिंग रिंग में उतरने का सपना साकार हुआ. बीते साल उन्होंने महिला मुक्केबाजी की वर्ल्ड चैंपियनशिप के ट्रायल में सफलता हासिल की और फिर इस चैंपियनशिप में भी एकतरफा मुकाबले जीतते हुए गोल्ड भी जीत लिया. ऐसा करने वाली वह भारत की पांचवीं महिला मुक्केबाज थी. इसके बाद निकहत ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी गोल्ड जीता. अब वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 में भी गोल्ड जीतकर निकहत एक नए मुकाम पर पहुंच गई हैं. अब उनकी कोशिश पेरिस में होने वाले 2024 ओलंपिक में गोल्ड जीतने की है. 

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