Commonwealth Games 2022: कॉमनवेल्थ गेम्स में रविवार का दिन भारत के लिए अच्छा रहा. रविवार को भारत वेटलिफ्टिंग में दो गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहा. इसके अलावा विश्व चैम्पियन मुक्केबाज निकहत जरीन (Nikhat Zareen) ने रविवार को महिला लाइटवेट 50 किलोग्राम भारवर्ग के क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया. हालांकि शिव थापा (63.5 किलो) और सुमित कुंडू (75 किलो ) राउंड 16 में हारकर बाहर हो गये.


जरीन ने आरएससी (रैफरी द्वारा मुकाबला रोकना) से महिलाओं के लाइटवेट वर्ग में मोजांबिक की हेलेना इस्माइल बागाओ पर जीत दर्ज कर अंतिम आठ में जगह बनाई. लेकिन थापा को विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता स्कॉटलैंड के रीस लिंच से मिली 1-4 की हार से खेलों से निराशाजनक तरीके से बाहर होना पड़ा. सुमित को मिडिलवेट वर्ग में आस्ट्रेलिया के कालम पीटर्स ने 5 . 0 से हराया.


दिन में पहले रिंग पर उतरी जरीन ने शुरू से ही मुकाबले में दबदबा बनाया और उनकी युवा प्रतिद्वंद्वी कहीं भी उनकी बराबरी नहीं कर सकी. भारतीय मुक्केबाज ने अपने अपार अनुभव की बदाौलत बायें और दायें मुक्कों के संयोजन का बखूबी इस्तेमाल कर प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज को पस्त किया. अंतिम राउंड में जरीन ने दमदार मुक्के सीधे हेलेना के मुंह पर लगे जिससे वह पूरी तरह हिल गयीं जिसके बाद रैफरी ने 48 सेकेंड पहले ही मुकाबला रोक दिया.


थापा नहीं भुना पाए अच्छी शुरुआत


जरीन का सामना अब क्वार्टरफाइनल में राष्ट्रमंडल खेलों की मौजूदा कांस्य पदक विजेता न्यूजीलैंड की ट्राय गार्टन से होगा जिसमें जीत से वह पोडियम स्थान में पहुंच जायेंगी. मुकाबले में जरीन ने कहा कि वह स्वर्ण पदक से कम से संतोष नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, ''मैं खुश हूं कि मैंने पहला मुकाबला जीत लिया और मैं अगले दौर में अच्छा करने के लिये तैयार हूं. मैं पदक से बस एक मुकाबले की दूरी पर हूं लेकिन मैं यहां स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद लगाये हूं. ''


थापा ने अच्छी शुरूआत की, उन्होंने शुरूआती राउंड में प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज पर पूरी तरह दबदबा बनाया. लेकिन उन्हें अगले दो राउंड में अति-आत्मविश्वास और फोकस की कमी का खामियाजा भुगतना पड़ा जिसमें स्कॉटलैंड के मुक्केबाज ने अपनी लंबी कद काठी और लंबे हाथों का बढ़िया इस्तेमाल कर मुक्के जड़े.


तीसरे और अंतिम राउंड में थापा मुकाबले में बने हुए थे लेकिन लिंच ने आक्रामक रूख अपनाया जिससे थापा के पास रक्षात्मक होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. नतीजा लिंच के पक्ष में रहा.


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