Manu Bhaker Coach Jaspal Rana Inspirational Story: भारतीय पिस्टल शूटिंग के दिग्गज जसपाल राणा (Jaspal Rana) खेल के प्रति अपने पैशन और डेडिकेशन के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने अपने करियर में कई जूनियर रिकॉर्ड तोड़े और इंटरनेशनल लेवल पर कई पदक जीते. हालांकि, उनकी ट्रॉफी कैबिनेट से ओलंपिक पदक गायब रहा. लेकिन जसपाल का सपना मनु भाकर (Manu Bhaker) द्वारा पेरिस ओलंपिक 2024 में कांस्य पदक जीतने के साथ पूरा हुआ. जसपाल दर्शकों के बीच खड़े होकर मनु की सराहना करते हुए भी नजर आए थे.


जसपाल हमेशा चर्चा में रहे हैं, चाहे वह खेल में वापसी के उनके कई प्रयास हों या राजनीति में उनकी एंट्री. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है दोहा एशियाई 2006 खेलों में बुखार से पीड़ित होने के बावजूद तीन स्वर्ण पदक जीतना, एक ऐसा रिकॉर्ड जिसे आज तक कोई भी भारतीय शूटर नहीं तोड़ पाया है.


1994 के हिरोशिमा एशियाई खेलों में 25 मीटर सेंट्रल फायर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद जसपाल राणा ने साबित कर दिया था कि भारतीय शूटर वर्ल्ड लेवल के शूटर बन सकते हैं. उन्हें अपने करियर में हंगरी के फेमस कोच टिबोर गोन्जोल का मार्गदर्शन मिला, जिन्होंने उन्हें बारीकियां सिखाईं। जसपाल हमेशा ओलंपिक में पदक जीतने का सपना देखते थे, लेकिन ओलंपिक में स्टैंडर्ड पिस्टल और सेंट्रल फायर पिस्टल इवेंट्स शामिल नहीं थीं, जिससे उन्हें निराशा हुई.


जूनियर नेशनल कोच बनने के बाद जसपाल ने युवा प्रतिभाओं की पहचान की, जिसमें उन्होंने मनु भाकर और सौरभ चौधरी को देखा, जिन्होंने बाद में टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, टोक्यो से पहले जसपाल और मनु के बीच मतभेद हो गया और दोनों अलग हो गए थे. लेकिन मनु जसपाल की सख्त ट्रेनिंग और अनुशासन से काफी प्रभावित थीं.


टोक्यो के बाद जब मनु बहकर का प्रदर्शन खराब हुआ तो दोनों के बीच फिर से सुलह हो गई. अब जसपाल राणा और मनु बहकर की जोड़ी गुरु-शिष्य की नई मिसाल बन गई है. अब जसपाल राणा मनु को किसी भी कम्पटीशन में सफलता दिलाने के लिए हर मिनट की तैयारी पर ध्यान देते हैं. चाहे पिस्टल ग्रिप हो या फाइन ट्यूनिंग, जसपाल मनु की हर बारीकी में मदद करते हैं ताकि वह और पदक जीत सकें.


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