टोक्योः पदक की प्रबल दावेदार विनेश फोगाट को गुरुवार को यहां महिलाओं के 53 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में बेलारूस की वेनेसा कालादजिन्सकाया ने चित्त करके उलटफेर करते हुए तोक्यो ओलंपिक से बाहर कर दिया. विनेश के पास वेनेसा के मजबूत रक्षण का कोई जवाब नहीं था. वेनेसा ने इसके साथ ही इस साल युक्रेन में भारतीय खिलाड़ी के खिलाफ इसी तरह की शर्मनाक हार का बदला चुकता कर दिया. विनेश ने तब वेनेसा को गिराकर ‘बाय फॉल’ से जीत दर्ज की थी.
बाद में वेनेसा सेमीफाइनल में चीन के क्विन्यु पांग से हार गयी जिससे विनेश का रेपेशाज के जरिये पदक हासिल करने की उम्मीदें भी समाप्त हो गयी. इस तरह से उनके ओलंपिक अभियान का निराशाजनक अंत हुआ.
विनेश को रियो ओलंपिक 2016 में क्वार्टर फाइनल में हार के कारण बाहर होना पड़ा था. यूरोपीय चैंपियन वेनेसा ने अपनी रणनीति को काफी अच्छी तरह लागू किया और विनेश उनके रक्षण को भेदकर अंक जुटाने में नाकाम रही.
अंक जुटाने में विफल रहने के बाद शीर्ष वरीय विनेश ने धैर्य खो दिया. यहां तक कि जब विनेश ने वेनेसा को पीछे से पकड़ा तो भी वह अच्छी स्थिति में होने के बावजूद विरोधी पहलवान को घुटनों के बल बैठाने में नाकाम रही.
रियो ओलंपिक में विनेश क्वार्टर फाइनल में चीन की सुन से हार गई थी. इस मुकाबले में विनेश के पैर के चोट लगी थी और उन्हें स्ट्रेचर पर बाहर ले जाया गया था.
विनेश ने पहले दौर में रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता और विश्व चैंपियनशिप की छह बार की पदक विजेता स्वीडन की सोफिया मेगडालेना मैटसन को 7-1 से हराया. विनेश ने डिफेंस को आक्रमण में बदलने का शानदार नजारा पेश किया. भारत की 26 साल की पहलवान ने 2019 विश्व चैंपियनशिप में भी मैटसन को हराया था.
मैटसन ने जब भी विनेश के दायें पैर पर हमला किया तो भारतीय पहलवान ने पलटवार करते हुए अंक जुटाए. भारतीय खिलाड़ी ने पूरे मुकाबले के दौरान जज्बा बनाए रखा और विरोधी पहलवान को चित्त करने का मौका भी बनाया लेकिन स्वीडन की खिलाड़ी इससे बचने में सफल रही.
विनेश ने 2019 विश्व चैंपियनशिप के अपने पहले दौर के मुकाबले में मैटसन को हराया था. भारतीय पहलवान ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक के साथ तोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल किया था.
युवा अंशु मलिक 57 किग्रा वर्ग में रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता रूस की वालेरा कोबलोवा के खिलाफ रेपेशॉज मुकाबले में 1-5 की हार के साथ पदक की दौड़ से बाहर हो गई.
अंशु हालांकि अपनी मजबूत प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ लगातार हमले करती रही और एक समय बढ़त पर थी लेकिन रूस की पहलवान ने दो अंक के साथ बढ़त बनाई और फिर जीत दर्ज करने में सफल रही.
उन्नीस साल की अंशु अपने पहले दौर में यूरोपीय चैंपियन इरिना कुराचिकिना से हार गई थी और बेलारूस की खिलाड़ी के फाइनल में जगह बनाने के बाद उन्हें रेपेशॉज में हिस्सा लेने का मौका मिला.
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