Tokyo Olympics 2020: टेनिस के पुरुष सिंगल्स के दूसरे दौर में सुमित नागल को रूस ओलंपिक समिति (आरओसी) के डेनियल मेदवेदेव ने सीधे सेटों में शिकस्त देकर ओलंपिक से बाहर कर दिया है. इसके साथ इस इस ओलंपिक के टेनिस इवेंट में भारतीय चुनौती समाप्त हो गई है. विश्व रैंकिंग में 160वें नंबर के खिलाड़ी नागल को दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी मेदवेदेव के खिलाफ 2-6, 1-6 के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
एक घंटे और छह मिनट तक चले इस मैच में मेदवेदेव ने अपनी दमदार सर्विस और स्ट्रोक की बदौलत पहले सेट में दो जबकि दूसरे सेट में तीन बार नागल की सर्विस तोड़ी. इस से पहले नागल ने अपने पहले दौर के मैच में उज्बेकिस्तान के डेनिस इस्तोमिन को 6-4, 6-7, 6-4 से हराया था. इसी के साथ ही ओलंपिक में 25 साल में पुरूष सिंगल्स इवेंट में जीत दर्ज करने वाले नागल तीसरे भारतीय टेनिस खिलाड़ी बने थे.
मेदवेदेव के खेल का नागल के पास नहीं था कोई जवाब
विश्व स्तरीय खिलाड़ी मेदवेदेव और नागल के खेल का अंतर इस मैच में स्पष्ट नजर आ रहा था. नागल की शुरुआत खराब रही और उन्होंने पहले गेम में ही बैकहैंड नेट पर मारकर अपनी सर्विस गंवा दी. इसके बाद दूसरे सेट में मैच प्वाइंट पर उन्होंने अपनी सर्विस पर फोरहैंड शॉट बेसलाइन से बाहर मारकर मुकाबला गंवाया. बेसलाइन से मेदवेदेव के ताकतवर शॉट का नागल के पास कोई जवाब नहीं था. भारतीय खिलाड़ी का खेल अपने से कहीं बेहतर खिलाड़ी को परेशान करने के लिए पर्याप्त नहीं था.
इस से पहले अपने पहले दौर के मैच में नागल ने इस्तोमिन को 6-4, 6-7, 6-4 से हराया था. इसी के साथ वो ओलंपिक में टेनिस के पुरूष सिंगल्स इवेंट में जीत दर्ज करने वाले तीसरे भारतीय बन गए थे. भारत के लिए जीशान अली ने सबसे पहले 1988 के सियोल ओलंपिक के पुरूष सिंगल्स इवेंट में पराग्वे के विक्टो काबालेरो को हराकर ये कारनामा किया था. इसके बाद 1996 के अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने ब्राजील के फर्नाडो मेलिजेनी को हराया था. साथ ही पेस ने इस स्पर्धा में कांस्य पदक पर भी कब्जा जमाया था.
भारत के मिक्स्ड डबल्स में उतरने की नहीं है संभावना
भारत के मिक्स्ड डबल्स में टीम उतारने की संभावना बेहद कम है. इसके लिए एंट्री की घोषणा मंगलवार को होगी. इसके कट के लिए रैंक 50 के आसपास रहने की उम्मीद है जबकि भारतीय खिलाड़ियों नागल (144) और सानिया (नौ) की संयुक्त रैंकिंग 153 है. रोहन बोपन्ना और दिविज शरण (113) की खराब संयुक्त रैंकिंग के चलते भारत पुरुष डबल्स में भी टीम नहीं उतार पाया था.
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