Tokyo Olympics: छोले भटूरे, बटर नान, प्लेन नान, परांठा, बटर चिकन, सोया पनीर, शाही पनीर, भिंडी, दाल, बसमती चावल, बिरयानी, उबली हुई पालक और उबली हुई शकरकंदी. आपको ये किसी होटल या रेस्टोरेंट का मेन्यू लग रहा होगा. जी नहीं बल्कि ये वो देसी खाना है जिसका इंतजाम टोक्यो ओलंपिक में भारतीय एथलीटों के लिए किया गया है और सभी एथलीट खेल गांव में इन भारतीय व्यंजनों का लुत्फ उठाते हुए पदक जीतने की तैयारी कर रहे हैं. 


मेन्यू में इन व्यंजनों के साथ ही उनके क्या न्यूट्रिशनल बेनिफिट हैं ये भी बताया गया है. इस से पहले जकार्ता में आयोजित 2018 के एशियाई खेलों समेत कई अंतरराष्ट्रीय इवेंट में भारतीय टीम देशी खाने के ना होने को लेकर अपनी शिकायत जता चुकी है. लेकिन टोक्यो में हालात बिलकुल अलग हैं. यहां खेल गांव के डाइनिंग एरिया में आयोजकों ने उत्तर भारत के कई व्यंजनों को अपने मेन्यू में शामिल किया है. 


भारतीय भोजन के इंतजाम से खुश हैं एथलीट 


ओलंपिक के लिए भारत के chef-de-mission डॉक्टर प्रेम वर्मा के अनुसार, यहां खाने की क्वालिटी बेहद अच्छी है. आयोजकों ने भारत के एथलीटों के लिए देशी व्यंजनों का भी शानदार इंतजाम किया है. उन्होंने कहा, "यहां कई प्रकार के भारतीय व्यंजन उपलब्ध हैं. सभी एथलीट इन इंतजामों से बेहद खुश हैं." 


टोक्यो ओलम्पिक की आयोजक समिति ने भारतीय ओलंपिक संघ को पहले ही ये बात कंफर्म कर दी थी कि खेल गांव में एथलीटों के लिए भारतीय खाने का भी इंतजाम किया जाएगा. 


2018 के एशियाई खेलों में अचंत शरथ कमल ने की थी शिकायत 

 

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय इवेंट के दौरान कई बार एथलीट भारतीय खाना ना मिलने को लेकर अपनी शिकायत जाता चुके हैं. जकार्ता में आयोजित 2018 के एशियाई खेलों के दौरान टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंत शरथ कमल ने भी ट्विटर पर इस बात को लेकर पोस्ट किया था. खेल गांव में भारतीय भोजन ना मिलने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "तीन घंटे तक चले एक कड़े मुकाबले के बाद डिनर में हमें खाने के लिए ये मिलता है. ब्रेड, नटेला और मूसली." 

 

उसी साल Buenos Aires में हुए यूथ ओलंपिक गेम्स में भी भारतीय दल ने खाने को लेकर नाराजगी जताई थी. इस से पहले  बीजिंग ओलंपिक (2008), लंदन ओलंपिक (2012) और रियो ओलंपिक (2016) में भी भारतीय दल को इसी समस्या का सामना करना पड़ा था. 

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