इंफालः मणिपुर की राजधानी इंफाल के पास नोंगपोक ककचिंग गांव हैं. यहां के लोग जंगल में जाकर लकड़ी जुगाड़ करने का काम करते हैं. करीब 15 साल पहले की बात है कि इस गांव की एक छोटी सी बच्ची भी अपने बड़े भाई और पापा के साथ जंगल में लकड़ी लाने जाती थी. लकड़ियां जुगाड़ करने के बाद घर लाने के लिए सभी के बीच बांट दिया जाता था. ताकि किसी पर ज्यादा बोझ न हो और कोई खाली हाथ न जाए. दस साल की बच्ची चानू भी लकड़ी उठाकर लाती थी. वह इतना ज्यादा भार उठाती थी कि हर कोई उसे देखकर दंग रह जाता था.


मीराबाई चानू के बड़े भाई ने अपनी बहन के इस कारनामे को देखा और फिर शुरू हो गया इम्फाल स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में भारोत्तोलन की ट्रेनिंग. भारत के इस वेट लिफ्टर से ही देश को ओलिंपिक खेलों के दूसरे दिन एक मेडल की उम्मीद है.


मीराबाई चानू भारोत्तोलन की 49 किलोग्राम की केटेगरी में फिलहाल वर्ल्ड रैंकिंग में चौथे स्थान पर कायम हैं. हालांकि जिस ग्रुप में चानू हैं उसमें उनके ऊपर रैंकिंग में जो तीन खिलाड़ी हैं उसमें एक उत्तर कोरिया की जबकि दौ चीन की है..


आपको बता दे कि उत्तर कोरिया इस बार की ओलंपिक खेलों में इस स्पर्धा में शामिल नहीं है और भारोत्तोलन के नियमों के मुताबिक चीन को एक केटेगरी में एक ही एथलिट को उतारना है. यानि कि मीराबाई के सामने पदक जीतने का सुनहरा मौका है.


चानू ने चार साल पहले यानी कि 2017 में अमेरिका में वर्ल्ड चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम केटेगरी में गोल्ड मेडल हासिल की थी. वह एशियाई चैंपियनशिप में भी ब्रोंज मेडल जीत चुकी है.


साल 2000 के सिडनी ओलंपिक खेलों में ब्रोंज मेडल विजेता कर्णम मलेश्वरी का कहना है , "मेडल का रंग क्या होगा पता नही है , लेकिन मेडल इस इवेंट से आ रही है ये लगभग तय है. में उम्मीद करूंगी की मीराबाई देश के लिए गोल्ड मेडल जीते."


पिछले कई महीनों से अपने कोच विजय शर्मा के साथ मीराबाई चानू अमेरिका में अभ्यास कर रही हैं. अब इंतजार के लिए सिर्फ 10 ही दिन रह गए हैं. उम्मीद है वेट लिफ्टिंग के 49 किलोग्राम केटेगरी में देश को एक मेडल ज़रूर मिलेगा.


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