टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहलवान रवि दहिया ने कहा हैं कि जब तक वो गोल्ड नहीं ले आते तब तक संतुष्ट नहीं होंगे. साथ ही दहिया ने उनकी इस जीत का सबसे बड़ा श्रेय उनके गुरु महावीर सतपाल को दिया है. एबीपी न्यूज ने दहिया, उनके गुरु महावीर सतपाल और पिता राकेश दहिया से खास बातचीत की. गुरु सतपाल ने भी कहा कि, रवि दहिया शुरुआत से ही उनका बेहद खास शागिर्द रहा है. कई बार प्रैक्टिस के दौरान ये इतनी मेहनत करता था कि इसे रोकना पड़ता था. साथ ही उन्होंने दहिया के परिवार की मेहनत को भी उनकी इस जीत की बड़ी वजह बताया. 


रवि दहिया ने टोक्यो ओलंपिक में कुश्ती के 57 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में पहुंचे थे. फाइनल में उनके पास गोल्ड जीतकर इतिहास रचने का मौका था, लेकिन रूस के पहलवान जावुर युवुगेव ने उन्हें हराकर उनका गोल्ड जीतने का सपना तोड़ दिया. इस तरह रवि दहिया को सिल्वर मेडल यानी रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा. 


रवि दहिया ने लोगों का किया धन्यवाद 


रवि दहिया ने अपनी इस जीत के लिए देश के सभी लोगों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, "सबको धन्यवाद देना चाहता हूं, बहुत खुशी है कि लोगों से इतना प्यार मिला.
जब तक गोल्ड नही लाऊंगा, तब तक मेहनत करता रहूंगा.


सेमीफाइनल के दौरान कजाकिस्तान के पहलवान नूरिस्लाम सनायेवे ने रवि को दांत से काटा था. इस बारे में उन्होंने कहा, "इतना बड़ा टूर्नामेंट है, सब अपनी तरफ से लड़ने की कोशिश करते हैं. मैंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर से लड़ाई में जुट गया."


गुरुजी की थी गोल्ड की ख्वाहिश


साथ ही रवि दहिया ने कहा कि, "टोक्यो ओलंपिक रवाना होने से पहले गुरु जी (महावीर सतपाल) की ख्वाहिश थी कि हमें गोल्ड चाहिए. हम इसके लिए पूरी तरह से तैयार होकर गए थे लेकिन इस बार सफल नहीं हो पाए. अब हमारे पास पहले से ही सिल्वर मेडल मौजूद है. अगली बार हम गोल्ड लाने की पूरी कोशिश करेंगे."


साथ ही दहिया ने अपने गुरु महावीर सतपाल को इस जीत का श्रेय देते हुए कहा, "गुरु जी का ही सबकुछ है, मैं छोटा सा आ गया था उनके पास. इस जीत में सारा योगदान इनका ही है."


गुरु महावीर सतपाल ने दहिया को बताया खास 

वहीं गुरु महावीर सतपाल ने रवि दहिया को अपना खास शागिर्द बताते हुए कहा, "देश की पूरी आबादी का आशीर्वाद इसके साथ था. मेरे पास 250 बच्चे हैं , सबके पीछे मेहनत होती है. ये बच्चा खास इसलिए है क्योंकि इसने बहुत मेहनत की है, इतनी मेहनत की इसे कई बार ट्रेनिंग के दौरान रोकना पड़ता था. एक तकनीक अगर 500 बार मारनी है तो ये उसे हजार बार मारता था. ये जीत पूरी तरह से इसकी इस मेहनत का नतीजा है." 


साथ ही उन्होंने कहा, "जब ये फाइनल कुश्ती हारा, मुझसे उठा नही गया. मेरी आवाज नही निकल रही थी. क्योंकि ये गोल्ड का पक्का दावेदार था. मुझे पूरा यकीन है कि ये 2024 के ओलंपिक में गोल्ड की हमारी ख्वाहिश पूरी करेगा."


साथ ही महावीर सतपाल ने रवि दहिया के परिवार को भी इस जीत का श्रेय दिया. उन्होंने कहा, "सबसे बड़ा श्रेय रवि के परिवार का भी है. ये इसके लिए रोजाना दूध मक्खन लेकर आते थे. राकेश जी ने भी इसके पीछे बहुत मेहनत की है."

कुश्ती के साथ खेती में भी बंटाता था हाथ  


वहीं रवि दहिया के पिता राकेश दहिया ने भी रवि को गले लगते हुए कहा, "हम इसके लिए दूध, घी, मक्खन लेकर अखाड़े पर जाते थे. ये सुबह 6:30 बजे यहां आता था और हर रोज 9 से 10 घंटे प्रैक्टिस करता. कई बार ये प्रैक्टिस में इतना खो जाता था कि इसको रोकना पड़ता था. यहीं नहीं प्रैक्टिस के बाद ये खेती में भी हमारा हाथ बंटाता था."


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