विश्व क्रिकेट में भारत का स्थान सबसे अलग है. एक ऐसा देश जिसके लिए क्रिकेट एक धर्म बन गया. कई यादगार जीत मिली, कई महान क्रिकेटर मिले. भारतीय क्रिकेटरों ने मैदान पर ऐसे-ऐसे रिकॉर्ड बनाए जिन्हें तोड़ पाना आसान नहीं. भारत ने ये सब कुछ हासिल किया है पिछले 86 सालों में और आगे भी बहुत कुछ हासिल करना है. लेकिन 8 फरवरी एक ऐसा दिन है जिसमें वो सबकुछ हुआ जो पूरे 86 सालों में देखते आ रहे हैं. कह लें तो 86 साल के भारतीय क्रिकेट इतिहास का सार 8 फरवरी में छिपा है.
भारत की पहली जीत
25 टेस्ट और 20 साल के लंबे सफर के बाद भारत को पहली जीत 8 फरवरी को मिली थी. मद्रास(वर्तमान में चेन्नई) में भारत और इंग्लैंड की टीम पांच मैचों की सीरीज का आखिरी टेस्ट खेल रही थी. वीनु माकंड ने भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे बेहतरीन स्पेल फेंकते हुए कुल 12 विकेट अपने नाम किए. उनकी स्पिन गेंदबाजी के आगे अंग्रेज बल्लेबाज यूं घूम गए कि अंत तक संभल नहीं पाए. पहली पारी में माकंड ने 8 बल्लेबाजों को पवेलयिन भेजा(उस वक्त की रिकॉर्ड गेंदबाजी) जिसमें 4 स्टंप थे(ये भी रिकॉर्ड). पहली पारी में इंग्लैंड की पूरी टीम 266 पर ऑल आउट हो गई. भारत ने जवाब में 457 रन बना दिए. पंकज रॉय (111) और पॉली उमरीगर (नाबाद 130) ने शतकीय पारी खेल भारत को 193 रनों की बढ़त दिला दी. दूसरी पारी में भारतीय स्पिन गेंदबाजों ने फिर कहर बरपाया. माकंड और गुलाम अहमद ने चार-चार विकेट लेकर इंग्लैंड का पुलिंदा 183 रनों पर बांध दिया. माकंड की स्पिन गेंदबाजी ने भारतीय मैदान पर जीत का परचम लहराया जो आज तक जारी है. भारत अब तक 500 से ज्यादा टेस्ट खेल लिए हैं.
एक हीरो जो विलेन बन गया
8 फरवरी 1963 भारत में एक ऐसे क्रिकेटर ने जन्म लिया जिसे भारतीयों ने कभी हीरो की तरह माना तो एक समय ऐसा भी आया जब उसे भारत का सबसे बड़ा विलेन माना गया. आप भी समझ गए होंगे कि बात मोहम्मद अजहरुद्दीन की हो रही है. अजहर को भारतीय क्रिकेट में एक ऐसे खिलाड़ी के तौर पर माना जाता है जिसने बदलावा को सबसे करीब से देखा. सुनील गावस्कर के साथ साझेदारी निभाई तो बाद में सचिन तेंदुलकर के साथ मिल कर भारत को कई यादगार जीत दी. क्रिकेट का एकमात्र खिलाड़ी जिसने टेस्ट क्रिकेट में उतरते ही एक बाद एक तीन टेस्ट में लगातार शतक लगा कर ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया. मैदान पर ऐसे शॉट उनके बल्ले से निकले जिसे आज तक कोई कॉपी नहीं कर पाया. बात सबसे तेज शतक (भारत के लिए टेस्ट में (74 गेंद पर शतक) संयुक्त रूप से नंबर वन) की हो या वनडे में 9000 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी की. नाम सिर्फ अजहर का आता है. लेकिन समय बदला और उनका नाम मैच फिक्सिंग में आ गया. एक पल में अजहर करोड़ों क्रिकेट फैन के लिए हीरो से विलेन बन गए.
कपिल देव दा जवाब नहीं
भारतीय मैदान को स्पिन के लिए सबसे बेहतर माना जाता है. इतिहास भी इसकी गवाही देती है. लेकिन इसी स्पिन ट्रैक वाले देश में एक ऐसा तेज गेंदबाज आया जिसने सबसे अधिक टेस्ट विकेट लेने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. 8 फरवरी 1994 को सुबह तकरीबन 11 बजे के आस पास अहमदाबाद के साथ पूरा देश थम गया था. 432 गुब्बारों के साथ पूरा शहर आसमान की और था सारे देशवासी खड़े होकर कपिल देव को सलामी दे रहे थे क्योंकि इसी दिन कपिल देव ने टेस्ट क्रिकेट में रिचर्ड हैडली के 431 टेस्ट विकेट को पार कर नया रिकॉर्ड अपने नाम किया था. कपिल देव से आगे भारतीय गेंदबाजों के साथ-साथ कई स्पिनर निकले लेकिन आज भी हर कोई यही कहता है- 'कपिल देव दा जवाब नहीं.'