अर्जेंटीना: क्वालीफाइंग दौर में खराब प्रदर्शन के बाद अर्जेंटीना की टीम रूस पहुंची है. पिछले सप्ताह यरूशलम में अभ्यास मैच रद्द होने से भी उसकी काफी किरकिरी हुई और मैच अभ्यास भी नहीं मिल सका. टीम बहुत हद तक लियोनेल मेस्सी पर निर्भर है जो अभी तक विश्व कप नहीं जीत पाने का कलंक धोना चाहेंगे.
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चार दिन बाद यहां फुटबॉल के सबसे बड़े खिताब के लिये दुनिया की 32 टीमें ‘ पैरों की जंग ’ लडेंगी तो इन दिग्गजों पर सभी की नजरें रहेंगी.
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स्पेन: ब्राजील की तरह ही स्पेन भी 2014 के खराब प्रदर्शन का गम यहां भुलाना चाहेगा. पिछली बार वह नाकआउट चरण से बाहर हो गया था. दो साल में जुलेन लोपेटेगुइ के कोच रहते स्पेन ने एक भी मैच नहीं हारा है. स्पेन को ग्रुप बी के पहले मैच में पुर्तगाल से खेलना है. टीम में सात खिलाड़ी ऐसे हैं जो यूरो 2016 में टीम का हिस्सा थे जिसे इटली ने 2 . 0 से हराया था.
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जर्मनी: पिछली विजेता जर्मनी को बड़े मैचों की टीम माना जाता है लेकिन नुमाइशी मैचों में उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. जोकिम ल्यू की टीम लगातार पांच मैचों में जीत दर्ज नहीं कर सकी और सउदी अरब के खिलाफ उसे 2 . 1 से जीत दर्ज करने में काफी पसीना बहाना पड़ा. गोलकीपर मैनुअल न्यूअेर सितंबर के बाद से चोट के डर से बहुत कम खेले हैं. जर्मन टीम हालांकि पिछले चार विश्व कप में सेमीफाइनल तक पहुंची है और इस बार भी उसके इरादे ऐसे ही होंगे.
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फ्रांस: फ्रांस ने अपने दोस्ताना मैच में अमेरिका से 1 . 1 से ड्रा खेला जिससे दिदियेर डेसचैम्प्स को अहसास हुआ होगा कि अभी काफी कुछ दुरूस्त करना है. आयरलैंड और इटली को अगले मैचों में फ्रांस ने हराया जिसमें पॉल पोग्बा का प्रदर्शन अच्छा रहा. फ्रांस भी अंतिम चार के दावेदारों में है.
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ब्राजील: पिछली बार 2014 में ब्राजील का अपनी सरजमीं पर खिताब जीतने का सपना जर्मनी ने उसे 7 . 1 से हराकर तोड़ दिया. पेंटा यानी पांच बार की चैम्पियन ब्राजील के पास अब एक बार फिर मौका है क्योंकि कोच टिटे ने उन्हें हार की निराशा से निकालकर फिर चैम्पियन वाले तेवर दिये हैं. डानी अल्वेस के चोटिल होने से टीम का संतुलन बिगड़ा है लेकिन नेमार फिर से फिट हैं और दोस्ताना मैचों में उन्होंने गोल भी किये हैं. मैनचेस्टर सिटी के गैब्रियल जीसस भी फार्म में हैं.