एशियन गेम्स में शिरकत करने वाले कबड्डी खिलाड़ियों पर उठे सवाल, इस बार नहीं जीत पाए गोल्ड
जब इस टीम को एशियन गेम्स में भेजने का फैसला लिया गया उसे पहले ही खिलाड़ियों के चयन को लेकर कई सारे सवाल खड़े हुए थे, सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक मांग भी की गई थी कि खिलाड़ियों के चयन में पक्षपात हुआ है.
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नई दिल्ली: क्या एशियन गेम्स में भारतीय कबड्डी टीम इस वजह से स्वर्ण पदक से चूक गई क्योंकि वहां पर जो खिलाड़ी भेजे गए थे वह उच्च स्तर के नहीं थे? जिनका टीम में चयन होना चाहिए था उनका चयन हुआ ही नहीं और जिन लोगों का चयन हुआ वह एशियन गेम्स में भेजे जाने के लायक ही नहीं थे?
28 साल बाद पहली बार एशियन गेम्स में भारत नहीं जीता गोल्ड
यह सवाल इस वजह से खड़ा हुआ है क्योंकि एशियन गेम्स के 28 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय कबड्डी टीम स्वर्ण पदक नहीं जीत पाई. पिछले महीने हुए एशियन गेम्स में भारतीय पुरुष कबड्डी टीम को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. वहीं महिला कबड्डी टीम को रजत पदक से संतोष करना पड़ा. कबड्डी टीम की इस तरह की परफॉर्मेंस के बाद कई सारे सवाल खड़े हुए कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो टीम लगातार एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक हासिल करती रही है वह फाइनल तक नहीं पहुंच पाई?
खिलाड़ियों के चयन को लेकर लगे आरोप
खिलाड़ियों के स्तर को लेकर सवाल इस वजह से खड़ा हो रहा है, क्योंकि जब इस टीम को एशियन गेम्स में भेजने का फैसला लिया गया उसे पहले ही खिलाड़ियों के चयन को लेकर कई सारे सवाल खड़े हुए थे, सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक मांग भी की गई थी कि खिलाड़ियों के चयन में पक्षपात हुआ है और जो खिलाड़ी हकदार थे उनको मौका नहीं मिला.
जुलाई के आखिरी हफ्ते में जब दिल्ली हाईकोर्ट ने कबड्डी फेडरेशन से इस पर जवाब मांगा तो कबड्डी फेडरेशन की तरफ से कहा गया कि खिलाड़ियों का नाम एशियन गेम्स कमेटी को पहले ही भेजा जा चुका है और अब इसमें बदलाव संभव नहीं है. फेडरेशन ने कहा कि अगर बदलाव किया जाता है तो संभव है कि भारत की टीम को डिस क्वालीफाई कर दिया जाए जिसके बाद हाईकोर्ट ने उस दौरान भेजी गई टीम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
हाईकोर्ट ने इसकी निगरानी के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस पी गर्ग को ज़िम्मेदारी सौंपी. रिटायर्ड जज एस पी गर्ग ने तय किया था कि जब एशियन गेम्स में शिरकत करने वाले खिलाड़ी वापस आएंगे तो उनका मुकाबला उन खिलाड़ियों से करवाया जाएगा जिनके लिए बताया जा रहा है कि वह एशियन गेम्स में खेलने गए खिलाड़ियों से बेहतर थे.
15 सितंबर को होना है मुकाबला
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस पी गर्ग ने तय किया यह मुकाबला 15 सितंबर दिन शनिवार को कराया जाएगा, लेकिन इस सबके बीच में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या इस मुकाबले में जिन खिलाड़ियों ने एशियन गेम्स में हिस्सा लिया था वह पहुंचेंगे या नहीं.
क्या एशियन गेम्स में शामिल होने वाले खिलाड़ी होंगे मुकाबले के लिए तैयार
खबरों के मुताबिक, एशियन गेम्स में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी और खुद फेडरेशन इस मुकाबले से बचता दिख रहा है. दलील ये दी जा रही है कि इससे खेल और खिलाड़ियों की छवि को खासा नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे में फिलहाल निगाहें इस बात पर टिकी है कि क्या एशियन गेम्स में शिरकत करने वाली टीम के खिलाड़ियों और जिन खिलाड़ियों का चयन नहीं किया गया था उनके बीच मुकाबला होगा या नहीं. क्योंकि यह तो साफ़ है कि अगर इस मुकाबले में भी एशियन गेम्स में शिरकत करने वाले खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो सवाल तो जरूर खड़े होंगे उनके चयन के ऊपर और फिर सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा.
कबड्डी फेडरेशन को और उन खिलाड़ियों के ऊपर भी सवाल उठाएंगे जिनका चयन कर एशियन गेम्स में भेजा गया था. क्योंकि इसी के चलते भारत एशियन गेम्स में 28 साल बाद पहली बार कबड्डी का स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया.
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