Commonwealth Games: 1928 ओलंपिक की इन चार घटनाओं ने दिया था कॉमनवेल्थ गेम्स को जन्म, पढ़िए इन खेलों के शुरू होने की असल कहानी
Commonwealth Games को शुरू करने का श्रेय कनाडा के एक स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट को जाता है. उन्होंने एक ब्रिटिश पादरी के 1890 के दशक के विचार को 1930 में ब्रिटिश एम्पायर गेम्स के नाम से जमीन पर उतारा था.
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Commonwealth Games Story: एम्सटर्डम ओलंपिक 1928... 22 गोल्ड समेत कुल 56 पदकों के साथ अमेरिका पदक तालिका में पहले स्थान पर. यह पहली बार नहीं था जब अमेरिका ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक लाया था. बल्कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद से वह ओलंपिक में छाया रहता था. अमेरिका इन खेलों में न केवल सबसे ज्यादा पदक लाता था बल्कि इन खेलों की छोटी से बड़ी हर चीज में भी उसके हस्तक्षेप की बातें होती थीं. 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में भी कुछ ऐसा ही हुआ.
1928 के ओलंपिक में कनाडा ने अमेरिका के खिलाफ एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई. दरअसल, कनाडा के महान धावक पर्सी विलियम्स जब अपना मेडल ग्रहण कर रहे थे, तो स्टेडियम में कनाडा का झंडा नहीं था. इस बात के लिए कनाडा ने अमेरिकी हस्तक्षेप को जिम्मेदार ठहराया था. यही नहीं खिलाड़ियों के लिए बने ट्रैक पर अमेरिकी एथलीट तो अभ्यास कर सकते थे लेकिन कनाडाई खिलाड़ियों को यह अनुमति नहीं थी.
एक और घटना यह थी कि महिलाओं की 100 मीटर दौड़ में जजों ने अमेरिकी धावक को विजेता घोषित किया था, जबकि वहां मौजूद कनाडाई दर्शकों के मुताबिक जीत उनके देश की धावक की हुई थी. और सबसे अहम चीज यह थी कि उस दौर में ओलंपिक में अपना खासा प्रभाव रखने वाले अमेरिकी एवरी ब्रुंडेज ने एक कनाडाई टीम अधिकारी का सीधे तौर पर अपमान किया था. कनाडा के साथ हुई ये चार घटनाएं उस दौर के कनाडाई स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट बॉबी रॉबिन्सन पचा नहीं पाए और उन्होंने अमरिकी अहंकार को जवाब देने की ठान ली.
रॉबिन्सन ने ओलंपिक के समतुल्य एक ऐसे खेल आयोजन की परिकल्पना की, जहां अमेरिका को शामिल ही नहीं किया जाए. इसके लिए उन्होंने एक इंग्लिश पादरी जॉन एश्ले कूपर के 1890 के दशक में दिए गए उस विचार को अपनाया, जिसमें ब्रिटेन और उसके आधिपत्य वाले इलाकों में इस तरह के खेलों और संस्कृति के एक बड़े आयोजन का आइडिया दिया गया था. कूपर के इस विचार को रॉबिन्सन ने जमीन पर उतारने का मन बनाया. अमेरिका को टक्कर देने के लिए एक बड़े देश को साथ लेने की जरूरत थी तो इसके लिए ब्रिटेन से बेहतर कोई विकल्प नहीं था. इस दौर में ब्रिटेन भी अपने घटते वर्चस्व के लिए कुछ नया करने के विचार में था. ऐसे में रॉबिन्सन द्वारा ब्रिटेन के अधीन रहे या कभी इस देश के उपनिवेश रहे देशों को इस खेल में शामिल करने की योजना पर ब्रिटिश सरकार ने हामी भर दी.
इस विचार को जमीन पर उतारना इतना आसान नहीं था. वह भी तब जब ओलंपिक जैसा एक बड़ा आयोजन पहले से ही अपनी जगह बना चुका हो. लेकिन रॉबिन्सन हार मानने वालों में से नहीं थे. वह पहले विश्व युद्ध का हिस्सा भी रह चुके थे और नेशनल एथलेटिक्स टीम के मैनजर की भूमिका भी निभा चुके थे. यही नहीं वह आमजन के हित में आंदोलन करने वाले शख्स के रूप में भी उनकी पहचान थी. कनाडा में उन्होंने किसानों और फल-सब्जी बेचने वालों के हितों में बड़ा अभियान चलाया था. ऐसे में वह पीछे हटने वालों में से नहीं थे. फिर वह दौर मंदी का था, जहां अमेरिका कनाडा से आयात होने वाली चीजों पर टैरिफ बढ़ाए जा रहा था. दोनों के बीच ट्रेड वॉर जैसी स्थिति भी थी. ऐसे समय में रॉबिन्सन अमेरिका को सबक सिखाना चाहते थे.
रॉबिन्सन ने इन खेलों को कनाडा के हैमिल्टन में आयोजित करने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने हैमिल्टन के नेताओं से 25 हजार डॉलर खेलों के आयोजन के लिए और एक लाख 60 हजार डॉलर स्टेडियम के निर्माण के लिए मांगे. मंदी के दौर में यह पैसा इकट्ठा करने में रॉबिन्सन को अच्छी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. फिर ऐसे समय में अन्य देश भी इस आयोजन में शामिल होने से कतरा रहे थे. तब रॉबिन्सन ने ऑस्ट्रेलिया को टीम भेजने के लिए 5 हजार डॉलर ऑफर किए. इतना ही फंड अन्य देशों जैसे- न्यूजीलैंड को भी दिया गया. उधर स्कॉटलैंड का खर्च वहीं के गायक और कॉमेडियन हैनरी लॉडर ने दिया.
ट्रेवल सब्सिडी के साथ आठ देश इस पहले आयोजन में शरीक होने को तैयार हुए. हालांकि ब्रिटेन अभी भी असामंजस्य की स्थिति में था. उसके सामने दो चिंताएं थीं. एक तो मंदी के दौर में पैसे जुटाने की चिंता और फिर दूसरा अपने नाम से शुरू हो रहे इन गेम्स के ओलंपिक के सामने टक्कर दे पाने की फिक्र. ऐसे में रॉबिन्सन ने खुद इंग्लैंड जाकर ब्रिटेन की भागीदारी पक्की की. ब्रिटेन ने पब्लिक अपील के जरिए 8 हजार पाउंड इकट्ठे किए और खेलों के इस नए सफर में शामिल हुआ.
1930 में शुरू हुए इन खेलों का नाम ब्रिटिश एम्पायर गेम्स रखा गया. 16 अगस्त 1930 को यह खेल कनाडा के हैमिल्टन में शुरू हुए. कुल 8 स्पोर्ट्स के 59 इवेंट इसमें शामिल किए गए. यह सभी इवेंट सिंगल मुकाबले थे यानी इसमें कोई भी टीम इवेंट शामिल नहीं था. इस पहले ब्रिटिश एम्पायर गेम्स में कुल 11 देशों के 400 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. जहां 25 गोल्ड समेत कुल 61 पदक के साथ ब्रिटेन टॉप पर रहा और मेजबान कनाडा 20 गोल्ड के साथ कुल 54 पदक के साथ दूसरे स्थान पर रहा. इस पूरे इवेंट के दौरान अलग-अलग स्पर्धाओं को देखने के लिए खूब दर्शक उमड़े. कुल मिलाकर रॉबिन्सन का यह आइडिया सफल हो गया.
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