रिकी पॉन्टिंग ने तोड़ी चुप्पी, 2011 वर्ल्ड कप हार के बाद कैसे छोड़ी थी कप्तानी
रिकी पॉन्टिंग ने कहा कि वो माइकल क्लार्क को कप्तानी सौंपना चाहते थे जिससे वो अगले बड़े इवेंट के लिए तैयार हो सकें. इसलिए उन्होंने कप्तानी छोड़ी थी. वहीं बल्लेबाजी में वो युवा बल्लेबाजों की मदद भी करना चाहते थे.
नई दिल्ली: इस बात में कोई दो राय नहीं कि रिकी पॉन्टिंग इस खेल के लेजेंड खिलाड़ी हैं. दाहिने हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने इंटरनेशनल करियर में कई रिकॉर्ड तोड़े और बनाए. बेहतरीन बल्लेबाज के साथ वो एक शानदार कप्तान भी थे. पॉन्टिंग की कप्तानी में ही ऑस्ट्रेलिया साल 2003 और 2007 वर्ल्ड कप अपने नाम कर पाई तो वहीं साल 2006 में चैंपियंस ट्रॉफी. 77 टेस्ट में उन्होंने कप्तानी की जहां 48 में टीम को जीत मिली तो वहीं वनडे में 228 मैचों में 162 में जीत.
लेकिन साल 2011 वर्ल्ड कप हार के बाद पॉन्टिंग ने कप्तानी से संन्यास दे दिया था जिसपर अब जाकर उन्होंने खुलासा किया है. पॉन्टिंग से पूछा गया कि आपको क्या अभी भी दुख होता है? इसपर पॉन्टिंग ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए वो सही वक्त था जब मैंने कप्तानी छोड़ी. मैं चाहता था कि माइकल क्लार्क को अगले बड़े इवेंट के लिए ज्यादा समय मिले. मैं अगला एशेज खेल सकता था इसलिए मैंने क्लार्क को ये मौका दिया.
पॉन्टिंग ने आगे कहा कि मैंने क्वार्टर फाइनल में सैकड़ा जड़ा था और मुझे भरोसा था कि मैं आगे भी फॉर्म में रहूंगा. उस दौरान खेलने का मेरा अहम मकसद यही था कि मैं युवा खिलाड़ियों की ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकूं.
पॉन्टिंग ने साल 2013 में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास का एलान कर दिया था. इसके बाद वो टीम के कोच बन गए.