नई दिल्ली: 1989 में अपने इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत करने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल लंबे करियर में कभी भी शराब या तंबाकू का विज्ञापन नहीं किया. सचिन ने एक हिंदी न्यूज चैनल के एक कार्यक्रम में बताया कि आखिर क्यों वह इस तरह के विज्ञापनों से दूर रहे.


इस कारण सचिन ने नहीं किया शराब-तंबाकू का विज्ञापन

सचिन ने कहा कि मैंने अपने पिताजी से वादा किया था कि मैं कभी शराब या किसी तरह की तंबाकू को प्रमोट नहीं करूंगा. इसी कारण मैंने कभी शराब-तंबाकू का विज्ञापन नहीं किया. उन्होंने कहा, 'मेरे पिता ने मुझसे कहा था कि मैं दूसरों के लिए रोल मॉडल हूं. कई लोग मुझे फॉलो करते हैं. यही कारण रहा कि मैंने कभी शराब या किसी तरह के तंबाकू उत्पादों का प्रमोशन नहीं किया.'

सचिन ने कहा, 1990 के दशक में मेरे बल्ले पर कोई स्टीकर नहीं था. मेरे पास कोई कॉन्ट्रेक्ट भी नहीं था. मुझे तंबाकू उत्पादों का प्रमोशन करने का कई बार ऑफर मिला. लेकिन फिर भी मैंने अपने पिता से किए हुए वादे को नहीं तोड़ा. मैंने इन ब्रांड्स का प्रमोशन नहीं किया.

उन्होंने आगे कहा, 'मुझे उनके ब्रांड्स के स्टीकर को बल्ले पर लगाने के ऑफर भी मिले थे. लेकिन मैं शराब और सिगरेट दोनों से दूर रहा. मैंने कभी अपने पिता से किया हुआ वादा नहीं तोड़ा.'

टी-20 विश्व कप के आयोजन पर भी बोले सचिन

टी20 विश्व कप के आयोजन के बारे में सचिन ने कहा कि टूर्नामेंट को तय समय पर आयोजित कराने के लिए कई चीज़ों का सही होना ज़रूरी है. हालांकि, इसका भविष्य क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया पर निर्भर है.

वहीं खाली स्टेडियम में मैच कराने पर सचिन ने कहा कि मैच में दर्शकों से मिलने वाली उर्जा की काफी ज़रूरत होती है. ऐसे में स्टेडियम में दर्शकों का आना एक सकारात्मक संकेत होगा. उन्होंने कहा, अगर प्रशंसकों को स्टेडियम में आने की अनुमति मिल जाए तो इससे ज्यादा अच्छा कुछ नहीं होगा. बिना फैंस के मैदान पर खिलाड़ियों को वो ऊर्जा मिल पाना मुश्किल है.

दर्शकों से मिलती है प्रेरणा

सचिन ने कहा कि मैंने सुना है कि मैच के दौरान दर्शकों के जैसा शोर मचाने वाले स्पीकर का इस्‍तेमाल करने की बात चल रही हैं. लेकिन इससे दर्शकों के नज़र आने से जो ऊर्जा मिलती है वो नहीं मिलेगी. अगर 25 प्रतिशत फैंस को भी स्टेडियम में आने की अनुमति मिलती है तो यह क्रिकेट के लिए अच्छी बात होगी.

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