भारत के शीर्ष कलाई के स्पिनर युजवेंद्र चहल का मानना है कि लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के कारण न सिर्फ तेज गेंदबाजों को नुकसान होगा, बल्कि स्पिनरों को भी नुकसान होगा क्योंकि उन्हें मध्य ओवरों में जरूरी बहाव नहीं मिलेगा. ICC ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर अंतरिम स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय के रूप में गेंद पर लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब ये एक ऐसा कदम बन गया है जिसने खेल को और भी अधिक बल्लेबाजी के अनुकूल बनने की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
चहल ने एक इंटरव्यू में कहा कि, "जब आप लार जैसे प्राकृतिक तत्व का उपयोग करते हैं, तो यह बहाव के साथ तेज गेंदबाजों को स्विंग और स्पिनर्स की मदद करता है.'' एक स्पिनर के तौर पर अगर मुझे बीच के ओवरों में ड्रिफ्ट नहीं मिलती है तो ये मेरे साथ और भी गेंदबाजों को परेशान करेगा. इसलिए लार बेहद जरूरी है.
चहल ने 94 मैचों में 146 विकेट लिए हैं. चहल ने कहा कि स्पिनर्स गेंद की चमक को बरकरार रखने के लिए लार का इस्तेमाल करते हैं. जिसके बाद तेज गेंदबाजों को गेंद चमकाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती है. इसलिए मैं हमेशा ये लेकर चलता हूं कि जब मेरे हाथ में गेंद आए तो उसकी चमकाहट बरकरार रहे.
चहल ने आगे कहा कि जब मुझे बीच के ओवरों में गेंद मिलती है तो कप्तान की यही कोशिश होती है उसका स्पिन गेंदबाज उसे एक दो विकेट निकालकर दे. ऐसे में अगर मैं 70 रन देता हूं लेकिन अंत में 3 विकेट निकालता हूं तो इससे अंत में टीम को फायदा होता है.
ऐसे में लार किसी भी मायने में एक गेंदबाज के लिए बेहद मददगार साबित होता है. लार की वजह से एक गेंदबाज का आत्मविश्वास तब और बढ़ जाता है जब गेंद उसके मुताबिक और बेहतर प्रदर्शन करती है.