Afghanistan News: अफगानिस्तान में तालिबानी कब्ज़े के साथ ही वहां तमाम तरह के खेल से जुड़े खिलाड़ियों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है. यही वजह है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए फुटबॉल को शुरू करने और बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने वाले फुटबॉल दिल्ली के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरण अब चिंता में हैं. उनको फिक्र सता रही है कि अब वहां की महिला खिलाड़ियों और प्रशासकों का आगे क्या होगा.


महिला फुटबॉल से जुड़े लोग खौफ में


फुटबॉल दिल्ली के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरण के पास अफगानिस्तान से बार बार फ़ोन भी आ रहे हैं और वहां महिला फुटबॉल आयोजन करने वाले लोग बहुत डरे हुए हैं.


फीफा के क्षेत्रीय विकास अधिकारी (Regional development officer) के हिसाब से शाजी प्रभाकरण कई बार अफ़ग़ानिस्तान जा चुके हैं. साल 2012 में अफगानिस्तान में जब पहली बार महिलाओं का फुटबॉल शुरू हुआ तब भी शाजी ने एक अहम भूमिका निभाई.


पिछले 9 सालों से अफगानिस्तान में महिलाओं के फुटबॉल को काफी लोकप्रियता भी मिली थी. लेकिन अब डर ये है कि महिला फुटबॉल से जुड़े लोगों की जान खतरे में हो सकती है क्योंकि तालिबान महिलाओं के खेलों को समर्थन नहीं करता है.


काबुल समेत अलग अलग प्रदेशों में महिलाओं के लिए फुटबॉल संगठित करने वाले प्रशासकों ने शाजी प्रभाकरण को फ़ोन भी किया था कि उनकी जान खतरे में है. इसके बाद वहां का भारतीय दूतावास बंद हो गया और भारत के लिए वीज़ा अप्लाई करने का समय और मौका उनको नहीं मिला. साजी इन तमाम लोगों के भविष्य को लेकर चिंता में हैं.



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