नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा अपने ऊपर दो साल का प्रतिबंध लगने के बाद बांग्लादेश के हरफनमौला खिलाड़ी शाकिब अल हसन ने मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) की विश्व क्रिकेट समिति से इस्तीफा दे दिया है. आईसीसी ने मंगलवार को शाकिब अल हसन पर दो साल का प्रतिबंध लगा दिया. इनमें एक साल निलंबन का है. एक बुकी ने मैच फिक्सिंग के लिए शाकिब से संपर्क साधा था, लेकिन शाकिब ने इसकी जानकारी आईसीसी को नहीं दी थी.


एमसीसी की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, "मेरिलबोन क्रिकेट क्लब आज इसकी पुष्टि करता है कि शाकिब अल हसन एमसीसी विश्व क्रिकेट समिति से हट गए हैं."


हरफनमौला खिलाड़ी शाकिब अक्टूबर 2017 में एमसीसी विश्व क्रिकेट समिति से जुड़े थे. उन्होंने सिडनी और बेंगलुरू में हुए बैठकों में हिस्सा भी लिया था. शाकिब ने अब अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार कर लिया है और उन्होंने आईसीसी की प्रतिबंध को भी मान लिया है. वह अब 29 अक्टूबर 2020 के बाद से फिर से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेल सकते हैं.


एमसीसी विश्व क्रिकेट समिति में दुनिया के मौजूदा और पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और अंपायर शामिल होते हैं जो एक साल में दो बार मिलकर खेल की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करते हैं. एमसीसी की अगली बैठक मार्च 2020 में श्रीलंका में होनी है.


क्या था आरोप


दरअसल शाकिब ने दो साल पहले एक मैच में एक सट्टेबाज से बात की थी. इस बात की जानकारी उन्होंने आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक एवं सुरक्षा इकाई (एसीएसयू) या बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के किसी अधिकारी से नहीं की थी. बाद में फोन टैपिंग रिकॉर्ड से पता चला तो उनको दोषी माना गया. उन्होंने हाल में ही इस घटना की बात कबूल की थी. उन्होंने माना था कि बुकी द्वारा संपर्क करने की जानकारी छिपाई गई. इसके अलावा शाकिब हाल ही में एक एबेसेडर के रूप में ग्रामीणफोन कंपनी से जुड़े थे. यह भी नियम का उल्लंघन है क्योंकि बीसीबी के नियम के मुताबिक राष्ट्रीय अनुबंध के तहत आने वाले क्रिकेटर टेलीकॉम कंपनी से नहीं जुड़ सकते.


सख्त सजा देने से क्यों कतराती है आईसीसी?


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