अंग्रेजी शब्द ‘रूथलेस’ के अर्थ के तौर पर आपको शब्दकोष में निर्दयी, क्रूर, बेदर्द, निर्मम जैसे शब्द पढ़ने को मिलेंगे. अगर आप भावनात्मक हुए तो आपको लगेगा कि खेल में ऐसे शब्दों की क्या जरूरत है लेकिन सच्चाई ये है कि आज के मैच में भारतीय टीम को ऐसे ही शब्दों की जरूरत है. खेल की दुनिया अब बिल्कुल बदल चुकी है. अब बड़ी टीम बनने के लिए जरूरी है कि आप बड़ी टीमों को बड़े अंतर से हराइए.

टीम इंडिया ने पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका को 6 विकेट से हराया था. दूसरे मैच में हार का अंतर 9 विकेट तक पहुंच गया. अब दक्षिण अफ्रीका को फिर बुरी तरह धोने की कोशिश करना चाहिए. भूलना नहीं चाहिए कि विश्व क्रिकेट पर वेस्टइंडीज या ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों का जब दबदबा था तो उन्होंने किसी टीम के खिलाफ किसी तरह की रिआयत नहीं बरती. उन्होंने जिस आक्रामकता से जिम्बाब्वे को हराया उसी अंदाज में बड़ी टीम को भी धोया.

याद कीजिए जब वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज भारत के कमजोर पुछल्ले बल्लेबाजों को भी ‘बाउंसर’ फेंक-फेंक कर डराया करते थे. याद कीजिए जब निचले क्रम के बल्लेबाज क्रीज पर उतरने तक से घबराते थे. यहां तो मामला इतना आसान भी नहीं, टीम इंडिया के सामने वो टीम है जो सीरीज के पहले तक वनडे रैंकिंग्स की पहले पायदान की टीम थी. वो तो हालात ऐसे बन गए कि मेजबान टीम ‘बैकफुट’ पर है. अब अगर मेजबान टीम लड़खड़ाई हुई है तो उसे संभलने का मौका क्यों देना? कुछ और करारे वार करने चाहिए. हां, बस ध्यान रखने वाली बात ये है कि आक्रामकता और ‘रूथलेस अप्रोच’ का खेलभावना पर कोई असर ना पड़े.

सीरीज में अजेय बढ़त बनाने का मौका
ये ‘रूथलेस’ क्रिकेट भारतीय टीम को सीरीज में अजेय बढ़त बनाने का मौका देगी. 6 वनडे मैचों की सीरीज में भारत को 3-0 की बढ़त बनाने का मौका देगा. आईसीसी रैंकिंग्स में जिस नंबर एक की पायदान पर भारतीय टीम की नजर है उस पर पहुंचने का रास्ता और साफ होगा. साथ ही साथ दुनिया भर की टीमों में एक संदेश जाएगा कि टीम इंडिया की ताकत अब एक नए ‘लेवल’ पर जा चुकी है.

काश! टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम अपनी मामूली गलतियों से ना हारी होती तो ये संदेश और मजबूती से जाता. खैर, जो बीत गया उसे भूलकर आगे देखते हैं. मौजूदा हालात ऐसे हैं कि दक्षिण अफ्रीका की टीम पूरी तरह बैकफुट पर है. एक के बाद एक उसके बड़े खिलाड़ी चोट की वजह से बाहर हो रहे हैं. एबी डीविलियर्स, फाफ ड्यूप्लेसी और क्विंटन डी कॉक, इन तीनों खिलाड़ियों के टीम से बाहर होने के बाद अचानक दक्षिण अफ्रीका की टीम अपने ही घर में अनुभवहीन टीम दिखने लगी है. इन तीनों ही खिलाड़ियों को मैच के दौरान चोट लगी थी.

दूसरी तरफ भारतीय टीम पूरी तरह फिट है. जोश से लबरेज है. टेस्ट सीरीज के बाद वनडे सीरीज में भी भारतीय गेंदबाज चमत्कारिक प्रदर्शन कर रहे हैं. भारतीय स्पिनर्स का खौफ दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को चैन की सांस नहीं लेने दे रहा है. टीम मैनेजमेंट तक मान चुका है कि दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज भारतीय स्पिनर्स की जोड़ी यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव के सामने सहज नहीं हैं. इन मुश्किल परिस्थितियों में मार्करम भी बतौर कप्तान सहज नहीं है जिनके पास सिर्फ 3 वनडे मैचों का तजुर्बा है.

सिर्फ बुनियादी बातों पर ध्यान देने की जरूरत
कहते हैं क्रिकेट का खेल गेंद और बल्ले के बीच का बहुत सीधा मुकाबला है. टीम इंडिया ने पहले दोनों वनडे मैचों में बहुत ‘सिंपल’ क्रिकेट खेली भी है. जिस खिलाड़ी को जो रोल दिया गया उसने उसे निभाया है. विराट कोहली ने बतौर कप्तान किसी भी चीज को ‘कॉम्पलीकेटेड’ नहीं बनाया. उन्होंने दूसरे वनडे में टीम के प्लेइंग 11 के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की. अब भी इसकी जरूरत नहीं है.

रोहित शर्मा ने टॉप ऑर्डर में ज्यादा रन नहीं बनाए हैं, लेकिन वो अच्छी शुरूआत कर रहे हैं. उनके शॉट्स में जो आत्मविश्वास दिखना चाहिए वो दिखा है. विराट खुद अच्छी फॉर्म में हैं. पहले वनडे में शतक लगा चुके हैं. केपटाउन का मैदान यूं भी भारत के लिए ‘लकी’ रहा है. दक्षिण अफ्रीका में लगातार तीन वनडे मैच जीतने का एक रिकॉर्ड भी सामने रखा है. भारतीय टीम को दोनों हाथों को फैलाकर इन मौकों को भुनाना चाहिए. इतिहास सीरीज के नतीजे, हार का अंतर याद रखता है चोटिल खिलाड़ियों के नाम नहीं.