मुंबई: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष के तौर पर आज बोर्ड की सालाना बैठक में कार्यभार संभालेंगे. सौरव गांगुली के कार्यभार संभालते ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) का 33 महीने से चला आ रहा शासन खत्म हो जाएगा. बता दें कि बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर गांगुली का चयन सर्वसम्मति से हुआ है. गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को बीसीसीआई का सचिव बनाया गया है.


बीसीसीआई का उपाध्यक्ष उत्तराखंड के महीम वर्मा और बोर्ड का कोषाध्यक्ष केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरूण धूमल को बनाया गया है. केरल के जएश जॉर्ज को संयुक्त सचिव बनाया गया है. सौरव गांगुली इस पद पर 9 महीने तक रहेंगे और उन्हें जुलाई में पद छोड़ना होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बीसीसीआई के नए संविधान के प्रावधानों के अनुसार छह साल के कार्यकाल के बाद एक ही व्यक्ति आगे उस पद पर नहीं रह सकते हैं. बता दें कि गांगुली इससे पहले बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे.


सौरव गांगुली के सामने ये हैं चुनौतियां 


बीसीसीआई अध्यक्ष पद संभालते ही सौरव गांगुली कुछ अहम फैसले ले सकते हैं. उन्होंने बोर्ड में प्रशासन को दुरुस्त करना और प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों के वेतन में बढोतरी जैसे मामलों को अपना लक्ष्य बना रखा है. बीसीसीआई अध्यक्ष रहते हुए सौरव गांगुली के सामने क्रिकेट सलाहकार समिति और राष्ट्रीय चयन समिति में अच्छे प्लेयर्स को लाने की भी चुनौती होगी.


बीसीसीआई की राज्य इकाइयों को मिल सकती है खुशखबरी 


इसी के साथ आज होने वाली बोर्ड की सालाना बैठक (एजीएम) में बीसीसीआई की राज्य इकाइयों को भी खुशखबरी मिल सकती है. बता दें कि आज की बैठक के बाद इन इकाइयों को मिलने वाली सालाना अनुदान की शुरुआत हो जाएगी. इससे पहले लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर उत्पन्न विवाद के बाद कई इकाइयों को ये अनुदान पिछले तीन साल से मिलना बंद हो गया था. इस कारण कई खेल गतिविधियां भी प्रभावित हो रही थीं.


वर्तमान में पूर्णकालिक सदस्यों को 35-35 करोड़ रुपए का सालाना अनुदान मिलता है. लेकिन अब सीओए द्वारा तय तमाम नियमों का अनुपालन करने वाली राज्य इकाइयों को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम मिलने की संभावना है. आज की बैठक में ही बिहार, उत्तराखंड, चंडीगढ़, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और पुडुचेरी जैसे 9 नए पूर्ण इकाइयों को लेकर भी स्थिति स्पष्ट होगी. बैठक में ही फैसला लिया जाएगा कि इन राज्य इकाइयों को जो अनुदान मिलेगा क्या इसके लिए दूसरे राज्यों के अनुदान राशि में कटौती की जाएगी.


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