हालांकि बाद में रीप्ले वीडियो देखने पर ये साफ देखा गया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था और गेंद रूकने के बाद ही गेंद को उठाकर विकेटकीपर को सौंपा था. लेकिन नियन के मुताबिक उन्हें आउट करार दिया गया.
इस मुकाबले में वेस्टइंडीज़ की टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फैसला लिया. लेकिन दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज़ जिवेशन पिल्लई और ब्रिटज़की ने टीम को 56 रनों की साझेदारी कर एक अच्छी शुरूआत दे दी. जिसके बाद ब्रिटज़की, होएटे की गेंद पर 18 रन बनाकर कॉट एंड बॉल हो गए.
इसके बाद आर वेन टेंडर भी शून्य के स्कोर पर रन-आउट हो गए और टीम को दो शुरूआती झटके लग गए. शुरूआती झटकों के बाद भी पिल्लई एक छोर पर संभलकर बल्लेबाज़ी करते रहे.
लेकिन पारी के 17वें ओवर की चौथी गेंद पर वो हुआ जिसकी कल्पना शायद किसी ने भी नहीं की थी. होएटे की गेंद पर पिल्ले ने एक शॉट खेलने की कोशिश की लेकिन बल्ले का किनारा लेकर गेंद पिल्ले के पैड से लगकर विकेटों के पास जाने लगी. जिसे पिल्लई ने बल्ले से ज़मीन पर ही रोक दिया. गेंद रूकने के बाद पिल्लई ने उसे हाथ से उठाकर विकेटकीपर को सौंप दिया. लेकिन यहीं पिल्लई से एक गलती हो गई कि उन्होंने खेल भावना दिखाते हुए गेंद फील्डर को दे दी.
विरोधी टीम वेस्टइंडीज़ ने इस घटना के तुरंत बाद अंपायर से 'ऑब्सट्रक्टिंग द फील्ड' के लिए अपील कर दी. जो कि आईसीसी के नियम के मुताबिक 'नियम 37.4' में आता है. जिसमें आप फील्डर के बीच आकर गेंद को या फील्डर को रोक नहीं सकते. लेकिन पिल्लई ने विकेटकीपर(फील्डर) की परमिशन के बिना गेंद को उठाकर विकेटकीपर को दिया था इसलिए उन्हें इसका दोषी पाते हुए आउट करार दे दिया गया.
क्रिकेट की भावना के लिहाज़ से ये बहुत गलत अपील और डिसीज़न है क्योंकि पिल्ले ने जिस समय गेंद को उठाकर विकेटकीपर को सौंपा तब गेंद स्टंप्स से काफी दूर थी और पहले ही मैदान पर रूक चुकी थी तो उसका विकेटों में जाकर लगने का कोई चांस नहीं था. इस तरह से कई मौकों पर खेल भावना को ध्यान में रखते हुए बल्लेबाज़ गेंद रूकने के बाद उसे उठाकर फील्डर को लौटा देता है.