मुंबई: घोटालों के आरोपी सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) द्वारा आजीवन मानद अध्यक्ष बनाए जाने पर गुरुवार को भी राजनीति गरम रही. खेल मंत्रालय ने जहां कारण बताओ नोटिस जारी कर आईओए से जवाब तलब किया है, वहीं चौटाला ने पद न छोड़ने और खेल मंत्री गोयल के खिलाफ अदालती कार्यवाही करने की बात कही. हालांकि खेल मंत्रालय द्वारा सभी संबंध खत्म करने की चेतावनी देने के बाद कलमाड़ी ने तो पद ग्रहण करने से इनकार कर दिया, लेकिन चौटाला पद न छोड़ने को लेकर अड़े हुए हैं.



गोयल ने गुरुवार को कहा, "हमने आईओए को बुधवार को ही कारण बताओ नोटिस भेज दिया है और उनसे 30 दिसंबर तक जवाब देने को कहा गया है कि सरकार क्यों आईओए का समर्थन करना बंद न करे? अगर आईओए अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के नियमों, अपने संविधान और राष्ट्रीय खेल नियम का पालन नहीं करती है तो सरकार को उसे समर्थन देने के बारे में सोचना पड़ेगा."

उन्होंने कहा, "जब कोई सरकार का समर्थन लेता है और देश का प्रतिनिधित्व करता है तो वह सरकार से बड़ा नहीं हो सकता. मेरा मानना है कि देश की किसी भी स्वतंत्र संस्था को मनमाने तरीके से काम करने का अधिकार नहीं है."

आईओए ने मंगलवार को वार्षिक आमसभा में कलमाड़ी और चौटाला को सर्वसम्मति से अपना आजीवन मानद अध्यक्ष चुना.

गोयल ने आईओए के अध्यक्ष एन. रामचंद्रन को भी एजीएम में इस मुद्दे को लाने के लिए आड़े हाथों लिया है. गोयल का कहना है कि यह मुद्दा एजीएम का हिस्सा नहीं था.

गोयल ने कहा, "मेरा मानना है कि आईओए के अध्यक्ष रामचंद्रन इसके लिए समान रूप से दोषी हैं. वह इस मुद्दे को बैठक में लेकर आए जो उसका हिस्सा नहीं था."

उन्होंने कहा, "आईओए का काम बुनियादी नियमों के मुताबिक काम करना और अच्छा प्रशासन देना है, लेकिन उन्होंने दो ऐसे लोगों को आजीवन अध्यक्ष बनाया जिनके नाम देश की शीर्ष अदालत में चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों में दाखिल आरोप-पत्र में दर्ज हैं."

पूर्व खेल मंत्री अजय माकन और अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने भी आईओए के इस फैसले की आलोचना की है.

हॉकी इंडिया (एचआई) ने भी आईओए के फैसले पर आपत्ती जताई है और उसके अध्यक्ष एन. रामचंद्रन को गुरुवार को इस मामले में पत्र भी लिखा है.

एचआई की अध्यक्ष मरियम कोशी ने पत्र में कहा, "हॉकी इंडिया अंतिम समय पर जल्दबाजी में सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को बिना चर्चा आईओए के आजीवन अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले का विरोध करती है."

पत्र में लिखा है, "सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को अजीवन अध्यक्ष बनाए जाने के प्रस्ताव के लिए पड़े वोटों में से हॉकी इंडिया के तीन मतों को विरोध में गिना जाए."

मामले को लेकर इतनी गहमागहमी के बीच भंग हो चुकी भारतीय एमैच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के अध्यक्ष रह चुके अभय सिंह चौटाला ने गुरुवार को कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के कहने पर ही भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के आजीवन मानद अध्यक्ष का पद छोड़ेंगे.

चौटाला ने गुरुवार को ट्वीट किया, "मैं तभी आईओए में अपना पद छोड़ूंगा जब आईओसी मेरे खिलाफ फैसला देगी. आईओए के अध्यक्ष जल्द ही इसे आईओसी के समक्ष ले जाने वाले हैं."

चौटाला ने इससे पहले एक विस्तृत बयान भी जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके अध्यक्ष रहते भारतीय मुक्केबाजी की स्थिति बेहतर हुई. उन्होंने बयान में खुद को पाक साफ बताया है.

चौटाला ने कहा, "मैंने 25 वर्षो से भारतीय खेल की निष्पक्ष होकर सेवा की है और भारतीय खेल को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है, खासकर मुक्केबाजी में. मैं इस बात से खुश हूं कि मैं हरियाणा से आता हूं जहां हमारी सरकार ने खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाईं और अब उसके खिलाड़ी देश में ओलम्पिक आंदोलन के सूत्रधार बने हुए हैं."

चौटाला ने कहा, "मैं जब आईएबीएफ का अध्यक्ष था तभी बीजिंग ओलम्पिक-2008 में विजेंदर सिंह ने कांस्य पदक जीता था. मैं इस बात से भी खुश हूं कि मैरी कॉम ने लंदन ओलम्पिक-2012 में कांस्य पदक अपने नाम किया था.

उन्होंने कहा, "मैंने खेल की सेवा निष्पक्ष भाव से की है और खेल तथा खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सबकुछ करुं गा. मुझे 2012 में सर्वसम्मति से आईओए का अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 2013 मैं मैंने इस पद को इसलिए त्याग दिया ताकि आईओए संविधान में सुधार हो सके और इसी सुधार के कारण मैं दोबारा आईओए का अध्यक्ष बन सका."