India vs Australia: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में कई ऐसे पल रहे, जिसे क्रिकेट प्रेमी शायद ही कभी भुला पाएंगे. इस सीरीज का एक ऐसा ही पल सिडनी टेस्ट में हुआ था, जब हनुमा विहारी ने दीवार बनाकर भारत को हार से बचाकर टेस्ट ड्रॉ कराया था.
दरअसल, विहारी सिडनी टेस्ट की दूसरी पारी में चोटिल हो गए थे. वह रन लेने के लिए दौड़ भी नहीं पा रहे थे. इसके बावजूद उन्होंने लंगड़ाते हुए मैच ड्रॉ करा दिया था. विहारी के इस हौसले का हर कोई मुरीद हो गया था.
एक क्रिकेट वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में विहारी ने सिडनी टेस्ट पर बात करते हुए कहा कि जब उन्हें चोट लगी तो उन्होंने इंजेक्शन लिए थे जिसके बाद उन्हें उनकी टांग भी महसूस नहीं हो रही थी. उन्होंने कहा, "मैंने दर्दनिवारक (पेन किलर) इंजेक्शन लिया था और मेरे पैर में टेप भी बंधी हुई थी. मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि मुझे अपनी टीम के लिए खड़े रहना है. मैंने सोच लिया था कि मुझे हर हाल में करीब तीन घंटे बल्लेबाजी करनी है."
विहारी ने आगे कहा, "टी ब्रेक के दौरान मैंने इंजेक्शन लिया था. इसके बाद मुझे दर्द तो महसूस नहीं हो रहा था, लेकिन दाहिने पैर में कमजोरी जरूर लग रही थी. मुझे अपना दाहिना पैर बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था. इतनी पेन किलर लेने के बाद मुझे दर्द तो नहीं हो रहा था, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा एक पैर ही नहीं है."
गौरतलब है कि भारत के लिए सिडनी टेस्ट ड्रॉ कराना बेहद जरूरी था. क्योंकि इसके पहले के दो टेस्ट में एक टेस्ट ऑस्ट्रेलिया ने और एक टेस्ट भारत ने जीता था. ऐसे में अगर भारत सिडनी में हार जाता, तो उसके लिए सीरीज जीतना असंभव हो जाता.
सिडनी टेस्ट में 161 गेंदो में नाबाद 23 रन बनाने वाले विहारी ने आगे कहा, "मैं जानता था कि वहां मेरी सीरीज का अंत हो गया है. मुझे पता था कि यह कोई क्रैंप या छोटी मोटी चोट नहीं है. मैं जानता था कि मैंने अपनी हैमस्ट्रिंग को फाड़ दिया था. क्योंकि मैंने पहले भी ऐसा किया है. मैं चल या दौड़ नहीं सकता था."
यह भी पढ़ें-
भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने के बाद घर पहुंचे रहाणे, ढोल-नगाड़ों के बीच रेड कारपेट पर हुआ वेलकम