डिप्रेशन भारतीय खेल में एक ऐसा विषय रहा है जिसे लेकर आमतौर पर खिलाड़ी बात नहीं करते हैं. लेकिन बुधवार को भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने पांच साल पहले अपने करियर में एक कठिन दौर का खुलासा करने के लिए इस विषय पर बात की. उस वक्त उन्होंने सोचा था कि "यह दुनिया का अंत है." हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ने डिप्रेशन को लेकर क्रिकेट से अनिश्चितकालीन ब्रेक लिया है.
कोहली ने यह कहते हुए कि मैक्सवेल के फैसले का समर्थन किया कि "मैं अपने करियर में इस दौर से गुजरा हूं. मैंने महसूस किया था कि यह दुनिया का अंत है. मुझे यह पता नहीं था कि क्या करना है और किसी को क्या कहना है, कैसे बोलना है, कैसे संवाद करना है. सच कहूं तो, मैंने यह नहीं कहा कि मैं मानसिक रूप से बहुत अच्छा नहीं महसूस कर रहा हूं और मुझे खेल से दूर होने की जरूरत है. क्योंकि आप यह नहीं जानते कि ये कैसे लिया जाता. जब आप अंतर्राष्ट्रीय स्टेज पर आते हैं, तो स्क्वाड में मौजूद प्रत्येक खिलाड़ी को कम्यूनिकेशन की आवश्यकता होती है.'' कोहली 2014 के इंग्लैंड दौरे का जिक्र कर रहे थे जहां उन्होंने 10 पारियों में सिर्फ 134 रन बनाए थे.
हाई प्रेशर वाले खेलों में एथलीटों की तरह, कई क्रिकेटरों ने डिप्रेशन का सामना किया है. इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी मार्कस ट्रेस्कोथिक, जोनाथन ट्रॉट और ग्रीम फाउलर, और न्यूजीलैंड के महान खिलाड़ी रिचर्ड हेडली उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने डिप्रेशन से जूझना स्वीकार किया है.
कोहली ने कहा, "मुझे लगता है कि ग्लेन (मैक्सवेल) ने जो किया है वह उल्लेखनीय है. उन्होंने पूरी दुनिया में क्रिकेटरों के लिए सही उदाहरण पेश किया है.'' उन्होंने कहा कि ''यदि आप माइंड के सबसे अच्छे फ्रेम में नहीं हैं, तो आप कोशिश करते हैं, कोशिश करते हैं और कोशिश करते हैं, लेकिन मनुष्य के रूप में एक ऐसे स्टेज पर पहुंचते हैं जहां आपको टाइम की आवश्यकता होती है.''
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