Param Vishisht Seva Medal 2022: गोल्ड मेडलिस्ट Neeraj Chopra को मिलेगा 'परम विशिष्ट सेवा मेडल'
Neeraj Chopra News: भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया था. उन्हें अब यह बड़ा सम्मान मिलने की जानकारी सामने आई है.
Neeraj Chopra Awards: टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले सूबेदार नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) को 'परम विशिष्ट सेवा मेडल' से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें यह सम्मान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर दिया जाएगा. नीरज भारतीय सेना के राजपूताना राइफल्स में तैनात हैं. अब तक नीरज को कई सम्मान मिल चुके हैं. नीरज ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं. उन्होंने टोक्यो में आयोजित किए गए ओलंपिक खेलों में 87.58 मीटर दूर भाला फेंककर पदक अपने नाम किया था. पिछले साल नवंबर में उन्हें 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मंगलवार शाम राष्ट्रपति भवन में 384 रक्षा कर्मियों को वीरता और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करेंगे. इन पुरस्कारों में 12 शौर्य चक्र, 29 परम विशिष्ट सेवा मेडल, 4 उत्तम युद्ध सेवा मेडल, 53 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 13 युद्ध सेवा मेडल शामिल हैं.
भारतीय सेना में 23 वर्षीय सूबेदार हरियाणा के पानीपत का रहने वाले हैं. नीरज ने 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में 82.23 मीटर तक भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था. इसके बाद 2017 में हुई एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 85.23 मीटर की दूरी तक भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीता था. नीरज ने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में 86.47 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक से पहले मार्च 2021 में 88.06 मीटर के नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ अपने सत्र की शुरुआत की थी.
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किन लोगों को दिया जाता है यह सम्मान?
परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM) भारत का एक सैन्य पुरस्कार है. यह शांति और सेवा क्षेत्र में असाधारण कार्य करने वाले रक्षा कर्मियों को दिया जाता है. प्रादेशिक सेना, सहायक और रिजर्व बलों, नर्सिंग अधिकारियों व नर्सिंग सेवाओं के अन्य सदस्यों और अन्य कानूनी रूप से गठित सशस्त्र बलों सहित भारतीय सशस्त्र बलों के सभी रैंक के कर्मी इस पुरस्कार के लिए पात्र हो सकते हैं. परम विशिष्ट सेवा मेडल मूल रूप से 26 जनवरी 1960 को "विशिष्ट सेवा मेडल, क्लास I" के रूप में स्थापित किया गया था. 27 जनवरी 1961 को इसका नाम बदल दिया गया.
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