Mirabai Chanu: 'लकड़ियों के गट्ठर से गोल्ड तक का सफर', जानिए Golden girl मे कब-कब देश का सीना गर्व से किया चौड़ा
CommonwealthGames2022: भारत की वेटलिफ्टर मीरा बाई चानू ने बर्मिंघम में नया इतिहास रच दिया है. उन्होंने दूसरी बार देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है. जानिए मीरा बाई चानू के जीवन के बारे में-
Mirabai Chanu: भारत की पहली महिला वेटलिफ्टर मीरा बाई चानू ने लगातार दूसरी बार शनिवार, 30 जुलाई 2022 को नया इतिहास रच दिया है. चानू ने भारत को कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक दिलाया है. उन्होंने दूसरी बार भारत की झोली में स्वर्ण पदक डाला है. इससे पहले चानू ने पिछली बार गोल्ड कोस्ट में साल 2018 में गोल्ड मेडल जीता था. उन्होंने साल 2014 में ग्लास्गो में रजत पदक हासिल किया था और फिर साल 2021 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता था. भारत के लिये भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक और रजत पदक जीतने वाली वे प्रथम महिला हैं.
लकड़ी के गट्ठर से शुरू किया था सफर, आज गोल्ड जीता
साइखोम मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल में हुआ था. इनकी माता का नाम साइकोहं ऊंगबी तोम्बी लीमा है जो पेशे से एक दुकानदार हैं. वहीं इनके पिता का नाम साइकोहं कृति मैतेई है जो PWD डिपार्टमेंट में नौकरी करते हैं. मीराबाई चानू अपने बचपन के दिनों से ही वेटलिफ्टिंग में रूचि रखती थीं. केवल 12 वर्ष की उम्र में ही लकड़ियों के मोटे-मोटे गट्ठर उठाकर अभ्यास किया करती थीं. वेटलिफ्टिंग के सपने देखने वाली चानू ने आज ये साबित कर दिया है कि मेहनत और लगन से बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है.
कुंजुरानी देवी से मिली प्रेरणा
मीरा के घर में लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनता था और उन्हें लकड़ियां जंगल से लानी पड़ती थीं. चानू उन बड़े-बड़े गठ्ठरों को भी आसानी से उठा लेती थीं जिन्हें उनका भाई मुश्किल से ही उठा पाता था. मीरा बाई महिला वेटलिफ़्टर कुंजुरानी देवी से काफी प्रेरित थीं. कुंजुरानी भी मणिपुर की थीं और एथेंस ओलंपिक में खेल चुकी थीं. उन्हें देखकर मीरा ने भी अपने परिवारवालों से वेटलिफ्टिंग में करियर बनाने की बात कही. पहले तो हर कोई नाराज हुआ और सबने मना कर दिया लेकिन अंत में उन्हें मीरा की जिद के आगे झुकना पड़ा.
2014 में जीता था पहला मेडल, रच दिया था इतिहास
मीरा बाई चानू ने साल 2014 में ग्लासगो में 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत जीतकर अपना पहला राष्ट्रमंडल खेलों का पदक जीता था. फिर रियो ओलंपिक 2016 में वह असफल रहीं थीं. लेकिन दो साल बाद 2017 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही उन्होंने धुआंधार वापसी की. उन्होंने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. लेकिन उनकी असली परीक्षा 2021 में टोक्यो ओलंपिक में हुई जब उन्होंने अपने पिछले ओलंपिक पराजय से वापसी करते हुए रजत जीता और रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक बन गईं. ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी के बाद पदक जीतने वाली वे देश की दूसरी वेटलिफ्टर हैं, मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में कांस्य पदक जीता था.
ये भी पढ़ें:
Mirabai Chanu Wins Gold: मीराबाई चानू ने सोना जीतकर रचा इतिहास, कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को मिला पहला गोल्ड