उमेश यादव के लिए उनकी पेस सबसे बड़ी संपत्ति है. शुरूआत में जब उन्होंने टेनिस और रबर की गेंद से क्रिकेट खेलना शुरू किया तब उन्हें सीजन गेंद से गेंदबाजी करने के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. मैदान पर जब उमेश यादव गए तो उन्हें एक सचिव ने पहचाना जहाँ वे अपनी गति के लिए अभ्यास करते थे. उन्होंने उमेश को बुलाया और पूछा कि क्या वह नागपुर के लिए जिला स्तरीय क्रिकेट खेलना चाहते हैं.


यादव ने जिला स्तर पर कामयाबी हासिल की जहां उन्होंने 8 विकेट लेकर बेहतरीन प्रदर्शन किया और सुर्खियों में आए. उन्हें आगे समर कैंप में शामिल होने की सलाह दी गई, जहां उनके जीवन की सबसे 'गंभीर' स्थिति सामने आई.


उमेश यादव अब भी उस पल को नहीं भूले हैं. यह अभी भी उनके दिमाग में है. समर कैंप में उनका पहला सत्र समाप्त हो गया, जिसमें स्पाइक्स न होने के कारण उन्हें मैदान से बाहर फेंक दिया गया. उन्हें इस पल को देख क्रिकेट को हमेशा के लिए छोड़ने का मन हो रहा था लेकिन उनके दोस्तों ने उनके हौंसले को टूटने नहीं दिया और इतनी छोटी बात को भुलाने के लिए कह दिया क्योंकि जीवन में इसके अलावा प्राप्त करने के लिए अभी बहुत कुछ था.


उमेश यादव ने क्रिकबज के लिए स्पाइसीपिच के एक एपिसोड में कहा कि, "मैं समर कैंप में था जो मैं कभी नहीं भूल सकता. ऐसा लगा जैसे मैं क्रिकेट छोड़ दूंगा." जब मैंने मैदान में प्रवेश किया, तो मेरे कोच ने मुझसे मेरा नाम पूछा. इसके बाद उन्होंने जूते मांगे? ”


"मैंने कहा कि मेरे पास स्पाइक्स नहीं हैं, जो मैंने पहना है यही मेरे पास मौजूद जूते हैं. फिर उन्होंने मुझे बताया कि आप बिना स्पाइक्स के गेंदबाजी करने कैसे आ गए. आपको नहीं पता कि यह आवश्यक है. उन्होंने तब कहा कि किसी को भी बुला लेते हो, पता नहीं क्या यहां क्या चाहिए आप जाओ यहां से.''  उमेश यादव ने कहा कि जब उन्होंने कोच के मुंह से ऐसे बोल सुने तो वो उदास हो गए और वहां से चले गए.


32 साल के उमेश राष्ट्रीय टीम के शीर्ष तेज गेंदबाजों में से एक हैं और उन्होंने प्रारूपों के दौरान अपनी योग्यता साबित की है. हालांकि, वह टीम से बाहर और अंदर होते रहे हैं.