उलान उदे: छह बार की चैम्पियन एम सी मेरीकोम (51 किलो) को विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा. वहीं पहली बार विश्व महिला मुक्केबाजी में उतरीं मंजू रानी (48 किग्रा) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में प्रवेश कर लिया. छठी रैंकिंग वाली मंजू रानी ने सेमीफाइनल में थाईलैंड की चुटहामत रखसत को 4-1 से शिकस्त दी. वहीं तीसरी रैंकिंग प्राप्त मेरीकोम को यूरोपीय चैम्पियनशिप और यूरोपीय खेलों की स्वर्ण पदक विजेता तुर्की की बुसेनाज काकिरोग्लू से 1-4 से पराजय झेलनी पड़ी.





मेरीकोम के मैच के दौरान भारतीय टीम ने फैसले का रिव्यू मांगा लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ की तकनीकी समिति ने उनकी अपील खारिज कर दी. मेरीकोम ने हार के बाद ट्वीट किया ,‘‘ क्यों और कैसे. दुनिया को यह पता लगे कि यह फैसला कितना सही था या कितना गलत.’’ पहले दौर में मेरीकोम ने अच्छे जवाबी हमले किये और काकिरोग्लू अपने कद का फायदा नहीं उठा सकी. दूसरे दौर में हालांकि उसने शानदार वापसी की. आखिरी तीन मिनट में तुर्की की मुक्केबाज ने दबाव बना लिया.





इस हार के बावजूद मेरीकोम ने महिला विश्व चैम्पियनशिप में सबसे ज्यादा पदक जीतने का रिकार्ड अपने नाम किया. यह विश्व चैम्पियनशिप का उनका आठवां और 51 किलोवर्ग में पहला पदक है. भारत के सहायक कोच और मेरीकोम के ट्रेनर छोटेलाल यादव ने कहा ,‘‘ मेरी ने बेहतरीन खेल दिखाया और उसे जीतना चाहिये था. हम इस फैसले से स्तब्ध हैं.’’


हरियाणा की मंजू रानी इस साल ही राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुई हैं. उन्होंने कद काठी में अपने से ज्यादा मजबूत रखसत के सामने शानदार प्रदर्शन किया. पहले दो दौर में उन्होंने जवाबी हमले करना ही ठीक समझा. हालांकि स्ट्रांद्जा मेमोरियल की रजत पदकधारी मुक्केबाज अंतिम तीन मिनट में आक्रामक हो गयी. इस तरह मंजू रानी ने अपने सीधे और तेज तर्रार मुक्कों से थाईलैंड की मुक्केबाज को काफी परेशान किया और जीत के लिये अंक जुटाये.