इंग्लैंड : महिला क्रिकेट विश्व कप के खिताबी मुकाबले में मैच के आखिरी पलों में इंग्लैंड की टीम ने अपनी नाउम्मीदी के बांझपन को तोड़ते हुए, करो या मरो के चौराहे पर लावे की तरह जीत का ऐसा ऐतिहासिक परचम लहराया कि भारतीय टीम में मातम पसर गया.
लॉर्ड्स में टीम इंडिया जीत के करीब थी, 43वें ओवर में सात विकेट पर 38 रनों की दरकार थी... भारत में बरखा की टपटपाती बूंदों के बीच जीत की उम्मीद शोर कर रही थी, तभी पूनम राउत को पलेवियन लौटना पड़ा. राउत का आउट होना भारतीय टीम की उफनती पारी पर सबसे बड़ी चोट साबित हुई.
विकेट गिरने का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ, जो आह बनकर उम्र भर का दर्द दे गया. 44वें ओवर की शुरुआत हुई पर एस वर्मा दगा दे गईं. अगले ओवर में कृष्णमूर्ति माहौल को और उदास कर गईं. अभी जीत के लिए 29 रनों की दरकार थी... 4 खिलाड़ी पवेलियन में थीं. उम्मीदों के चिराग़ अभी बुझे नहीं थे. हां ये जरूर था कि लॉर्ड्स में उठी तेज़ हवाएं हमारी डगर को कमज़ोर कर रही थीं...लेकिन टीम की साख को देखकर ठहरिये और गौर कीजिए...उम्मीद का दामन मत छोड़िए..ऐसा सोचने पर मजबूर कर रही थीं.
अभी 45वां ओवर जारी था...कृष्णामूर्ति के बाद एक ही गेंद फेंका गया था कि जे गोस्वामी भी पवेलियन लौट गईं. लेकिन अगले दो ओवर में टीम इंडिया ने 17 रन जोड़े और उससे ऐसा लगा कि अब जीत फिर करीब आ रही है, लेकिन 48वें ओवर में एस पांडे आउट हो गईं. और इस तरह उम्मीदों का चिराग़ टिमटिमाने लगा. 49वें ओवर में डीबी शर्मा और आरएस गायकवाड़ के आउट होते, ये टिमटिमाता चिराग बुझ गया. टीम इंडिया ने महज़ 27 रन बनाकर सात विकेट गंवा दिए...