यशस्वी जायसवाल 17 साल का वो क्रिकेटर जिसने कभी गोलगप्पे बेचे, आज सबसे कम उम्र में डबल सेंचुरी लगाई
यशस्वी जायसवाल ने विजय हजारे ट्राफी में 17 साल की उम्र में वो कारनामा कर दिखाया है जो बड़े-बड़े खिलाड़ी नहीं कर पाए. वह लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने वाले सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं.
नई दिल्ली: युवा यशस्वी जायसवाल की 203 रन की तूफानी पारी की मदद से मुंबई ने विजय हजारे ट्राफी एलीट ग्रुप ए मैच में बुधवार को झारखंड को 38 रन से हराया. जायसवाल अभी 17 साल 192 दिन के हैं और वह लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने वाले सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं. उनकी शानदार पारी से मुंबई ने 50 ओवरों में तीन विकेट पर 358 रन बनाये और फिर झारखंड को 319 रन पर आउट कर दिया. इस पारी से युवा बल्लेबाज यशसवी बुधवार को प्रतिष्ठित विजय हजारे ट्रॉफी में दोहरा शतक लगाने वाले तीसरे बल्लेबाज बन गए. मौजूदा टूर्नामेंट में दोहरा शतक लगाने वाले जयसवाल दूसरे बल्लेबाज हैं. इससे पहले, विकेटकीपर-बल्लेबाज संजू सैमशन ने केरल के लिए खेलते हुए गोवा के खिलाफ नाबाद 212 रन बनाकर इतिहास रच दिया था.
जायसवाल ने अपनी पारी में 17 चौके और 12 छक्के लगाये. 17 साल की उम्र में बेशक उन्होंने इतिहास रच दिया हो लेकिन सफर हमेशा मुश्किलों भरा रहा. क्रिकेट खेलने की ललक ऐसी थी कि कभी मैदान के बाहर गोलगप्पे बेचे तो कभी खिलाड़ियों के गुम बॉल की तलाश की.
संघर्ष भरा रहा सफर
जायसवाल उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं. उनके पिता एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. जायसवाल बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहते थे. उन्होंने अपनी इस ख्वाहिश के बारे में अपने पिता को बताया. इसके बाद जायसवाल ने मुंबई में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार से बात की और वहां चले गए. हालांकि रिश्तेदार के घर में इतनी जगह नहीं थी कि जायसवाल वहां रह पाते. इसके बाद उन्होंने मुंबई में एक डेयरी वाले के यहां काम करना शुरू किया. फिर जब उस डेयरी वाले ने देखा जायसवाल दिन भर क्रिकेट खेलने में व्यस्त रहते हैं तो उसने जायसवाल को काम से निकाल दिया. इसके बाद उन्हें कुछ दिन टेंट में रहना पड़ा. बाद में वह मुंबई के आजाद मैदान में पहुंचे. इसके बाद उन्हें मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में ग्राउंड्समैन के साथ रहने का मौका मिला. उन्होंने वादा किया कि वह अच्छा खेल दिखाएंगे. वह यहां लगातार मेहनत करते रहे. इस दौरान खर्च चलाने के लिए वह गोलगप्पे भी बेचा करते थे.
मेहनत रंग लाई और एक दिन जब वह जब आजाद मैदान में वह खेल रहे थे तो कोच ज्वाला सिंह की नजर उनपर पड़ी. इसके बाद यशस्वी जायसवाल को ज्वाला सिंह की कोचिंग मिलने लगी. बहुत कम समय में यशस्वी का टैलंट ऐसा निखरा कि पिछले साल में यह होनहार खिलाड़ी 50 से ज्यादा सेंचुरी बना चुका है. यशस्वी जायसवाल पिछले साल उस एशिया अंडर 19 टीम का हिस्सा भी थे जिसने श्रीलंका को फाइनल में हराया था.
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