UGC के फाइनल ईयर के एग्जाम कराने के फैसले पर भड़के आदित्य ठाकरे, दी ये नसीहत
आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करते हुए पूछा कि क्या एचआरडी मंत्रालय और यूजीसी के प्रमुख को देश में बढ़ते हुए कोरोना वायरस के मामलों की खबर नहीं है?
मुंबई: केंद्र सरकार के फैसले के बाद यूजीसी ने देशभर में फाइनल ईयर के छात्रों के एग्जाम कराने का फैसला लिया है. महाराष्ट्र की सरकार इससे पहले ही फाइनल ईयर के छात्रों को पास करने के लिए अपनी तरफ से पैरामीटर बना चुकी थी. यूजीसी के नए फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार भड़की हुई है. अब आदित्य ठाकरे ने एचआरडी मिनिस्टर और यूजीसी को आड़े हाथों लिया है और ट्वीट करके जोरदार हमला बोला है.
आदित्य ठाकरे का कहना है कि यूजीसी को इस छोटे से मुद्दे को अपने ईगो पर नहीं लेना चाहिए और लाखों छात्रों, टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए. आदित्य यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि एचआरडी मंत्रालय और यूजीसी के प्रमुख छात्रों की जान की गारंटी लें. उनकी सुरक्षा की गारंटी ले जो एग्जाम में बैठेंगे. क्या इनको देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस की खबर नहीं?
Unless, the HRD Ministry and UGC take responsibility for the health of each student appearing for exams, one wonders what is the guarantee apart from just that the ministry and UGC don’t realise the growing number of cases in India. (2/n)
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 10, 2020
आदित्य ठाकरे का यह मानना है कि एग्जाम से छात्रों पर मेंटल प्रेशर बढ़ेगा. कोरोना के छात्रों की जान को भी खतरा आएगा. जहां दुनियाभर के विश्वविद्यालय एग्जाम कैंसिल कर रहे हैं, यूजीसी और एचआरडी मिनिस्टर छात्रों के ऊपर एग्जाम थोप रहे हैं.
शिवसेना नेता ने कहा कि राज्य सरकार, स्थानीय निकाय और प्रशासन कोरोना को कम करने के लिए अपनी तरफ से कदम उठा रहे हैं. एचआरडी मिनिस्ट्री और यूजीसी उल्टा ही करना चाह रही है.
गौरतलब है कि यूजीसी के फैसले के बाद से ही शिवसेना मुखर है. युवा सेना के सेक्रेटरी वरुण सरदेसाई पहले दिन से ही मोर्चा लिए हुए हैं और यूजीसी के फैसले के खिलाफ ऑनलाइन पिटिशन भी चला रहे हैं.
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