पीलीभीत, एबीपी गंगा। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. इस कहावत को आपने बखूबी सुना ही होगा. ऐसी कहानी को सच कर दिखाया है, अल्मोड़ा के महत गांव के पंकज मेहता ने. जो बीती रात असम के तेजपुर से उत्तराखंड में स्थित अपने गांव की मंजिल तय कर साइकिल पर सवार होकर निकल पड़े हैं अपनी मंजिल की ओर. आइए आपको दिखाते हैं हमारी एक्सलूसिव रिपोर्ट में मंजिलों की उड़ान से आसमान छूते इस युवा सिपाही की कहानी.


उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिले के महत का निवासी पंकज मेहता असम के तेजपुर में एयरफोर्स टेक्नीशियन पद पर तैनात है. जिन्होंने 13 सितंबर को असम से साइकिल पर सवार होकर अपने गांव तक जाने के लिए साइकिल का सफर तय किया. यह दूरी लगभग 2150 किलोमीटर है.


पीलीभीत पहुंचे पंकज
13 सितंबर को साइकिल पर सवार होने के बाद एयरफोर्स के जवान पंकज ने संकल्प लिया कि वे राम नाम का जप कर अयोध्या में श्रीराम लला के दर्शन करते हुए उत्तराखंड के गांव महत तक अपनी दूरी तय करेंगे. पंकज बीती शाम पीलीभीत की पूरनपुर तहसील पहुंचे. यहां उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री का कहना है कि अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए उन्होंने साइकलिंग का तरीका अपनाया.


रामललला के दर्शन किए
उन्होंने 9 दिन का लगातार सफर तय करने के बाद रामलला के मंदिर अयोध्या में दर्शन किए. अगले दिन वह अपने गांव की ओर चल पड़े. बीते रात पूरनपुर तहसील में उनके फेसबुक पर बने दोस्तों ने उनका स्वागत किया. जहां उन्होंने रात्रि विश्राम की व्यवस्था की. जिसके बाद अगली सुबह वे फिर करीब 1600 किलोमीटर सफर करने के बाद अब यूपी के पीलीभीत जिले से अल्मोड़ा की दूरी करीब 500 किलोमीटर तय करेंगे. जिसमें वे उत्तराखंड के रुद्रपुर में रुकने के बाद सीधे अपनी मंजिल अपने गांव जिला अल्मोड़ा के महत गांव पहुंच जाएंगे.


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