MP Election 2023 News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार (5 सितंबर) को एक बार फिर मध्य प्रदेश आ रहे हैं. यहां अमित शाह दो जन आशीर्वाद यात्राओं को हरी झंडी दिखाने के अलावा पब्लिक रैली को संबोधित करेंगे. महाकोशल इलाके के आदिवासी जिले मंडला और ग्वालियर-चंबल के श्योपुर से अमित शाह जन आशीर्वाद यात्राओं को रवाना करेंगे. ये क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य इलाके हैं, ऐसे में आगामी विधानसभा को देखते हुए ये दोनों जनसभाएं बीजेपी द्वारा आदिवासी वोटरों को साधने के रुप में देखा जा रहा है. 


दरअसल, मध्य प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी द्वारा पांच जन आशीर्वाद यात्राएं निकाली जा रही है. इन यात्राओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे बीजेपी करके क्षेत्रीय, जातीय और भौगोलिक स्थिति के हिसाब से अपने प्रचार अभियान को आगे बढ़ा रही है. ये पांच यात्राएं 17 से 21 दिन में प्रदेश की 230 में से 211 विधानसभा सीटों को कवर करेंगी. इनका शुभारंभ 3 सितंबर को चित्रकूट से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कर दिया है. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री अमित शाह श्योपुर व मंडला, राजनाथ सिंह नीमच और नितिन गडकरी खंडवा में यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. 


चौथी जन आशीर्वाद यात्रा 5 सितंबर से निकलेगी


यहां बताते चलें कि चौथी जन आशीर्वाद यात्रा 5 सितंबर को मंडला से भोपाल के लिए रवाना होगी. इसका शुभारंभ दोपहर 3 बजे मंडला में रघुनाथ शाह-शंकर शाह की जन्म स्थली से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे. वे इस दिन श्योपुर और मण्डला की यात्राओं को हरी झंडी दिखाएंगे. मंडला से भोपाल की जनआशीर्वाद यात्रा 10 जिलों के 45 विधानसभा क्षेत्र से गुजरेगी. इसमें 56 मंच सभाएं, 335 रथ सभाएं होंगी. यह यात्रा 18 दिन में 2303 किमी का सफर तय करके भोपाल पहुंचेगी. 


मोदी-शाह के चेहरे पर आदिवासी वोट बैंक पर नजर


राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की कमान मोदी-शाह ने अपने हाथों में ले रखी है. आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. सच्चाई ये है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी के हाथ से आदिवासी वोट बैंक लगातार छिटकता जा रहा है. यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकार ने आदिवासियों पर डोरे डालने के लिए कई योजनाएं भी लागू की हैं. इसके बावजूद आदिवासी वोट बीजेपी की पकड़ में नहीं आ रहा है. बीजेपी आदिवासियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चेहरा बनाकर इस बड़े वोट बैंक को बीजेपी नजदीक लाने की भरसक कोशिश कर रही है. 


आदिवासी सीटों पर बीजेपी का आंकड़ा


मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल इलाके में 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 84 में से 34 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन साल 2013 के चुनाव में आदिवासी बाहुल्य 59 सीटों पर बीजेपी को सफलता मिली थी. इस हिसाब से पिछले चुनाव में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ था. इसी तरह जिन सीटों पर आदिवासी वोटों से जीत और हार तय होती है, वहां बीजेपी को 16 सीटों पर ही जीत मिली थी. यह 2013 की तुलना में 18 सीट कम है. अब सरकार आदिवासी जनाधार को वापस बीजेपी के पाले में लाने की कोशिश में जुटी है. 


छिंदवाड़ा की सभी 7 सीटों पर जीती कांग्रेस


यहां पिछले चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी था. महाकोशल क्षेत्र में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिले आते हैं. यहां के परिणाम हमेशा ही चौंकाने वाले रहे हैं. 2018 के चुनाव में बीजेपी को महाकोशल इलाके से निराशा हाथ लगी थी. इसकी बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी बताई जा रही थी. हालांकि, कांग्रेस ने कमलनाथ के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे रखकर चुनाव लड़ा था. हालांकि कमलनाथ महाकोशल का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए कांग्रेस ने उनके गृह जिले छिंदवाड़ा की सभी 7 सीटें जीत ली थीं. इसी तरह जबलपुर में भी कांग्रेस को 8 में से 4 सीट मिली थी. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस ऐसा ही प्रदर्शन कर पाएगी या बीजेपी को बड़ी सफलता मिलेगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी इसी सवाल का जवाब ढूंढने महाकोशल का दौरा कर चुके है.


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